नारी एक अस्तित्व
यामिनी द्विधा कृत्वात्मनो देहमर्धेन पुरुषोअमवत अर्धेन नारी तस्या स दिराजं सृजत्प्रभु:|| ( मनुस्मृति) अर्थात् हिरयन्गर्भ् ने अपने शरीर के दो भाग किये आधे से पुरुष और आधे से स्त्री का निर्माण हुआ। समाज का निर्माण स्त्री एवं पुरुष के संयोग से हुआ है, अतः समाज के संचालन के लिए जितनी अवश्यकता पुरुष की है उतनी […]
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