पटना: रविंद्र नाथ टैगोर की अप्रतिम रचनाओं के संकलन में पदावली अत्यंत प्रमुख है नायक और नायिका की श्रृंगार रस को व्यक्त करती यह रचना अति मधुर छंदों की संचयिका है। राधा काली अंधेरी रात में कृष्ण की बांसुरी धुन सुनकर उनसे मिलने को जाना चाहती है। तब जबकि आकाश मेघ के बादलों से आच्छादित है। सखियां राधा से नहीं जाने की आग्रह करते हुए कहती है, तुम अति कोमल सुकुमारी झाड़ियों वाले पथ में बारिश के समय नहीं जाओ। ऐसे में राधा को केवल और केवल कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनाई दे रही है जो उसे अपने पास बुलाना चाहती हैं।
कृष्ण और यमुना की पनघट का अनूठा संबंध है। सारे खेल लीलाओं का साक्ष्य है, यमुना। गोपियों संग छेड़छाड़, ललितमय संबंध का सूचक है। कृष्ण की प्रेयसी गोपियां एक दूसरे के बाहों में बाहें डाले खड़ी थी। शीतल वायु बह रही थी। यमुना जी भी उसमे संग हो ऊंची ऊंची लहरों के उठान से मानो कृष्ण कुछु भर लेना चाहते हो, गोपियां अपनी लोक लाज त्याग कर सारे बंधन तोड़ कर आ जाती है। कृष्ण भावपूर्ण हो इसे निर्भीक और निर्दोष की उपमा दे रहे हैं। अनंत काल तक भी इस प्रेम को प्रतिचियुक्त नहीं किया जा सकता। ऐसा कह कर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी रसमयी लीला प्रारंभ करते है। सारी गोपियों के पास एक-एक कृष्ण विराजमान है। रास मंडल में सभी गोपियां अपने अपने प्रियतम श्यामसुंदर के साथ नृत्य करने लगी।
शरद रात की रासलीला के बाद सुना भोर गोपियों को व्यथित कर रहा। विप्रलंभा नायिका सी प्रतीत होती गोपिया उदास प्रलाप कर रही थी। नाटिका के अंत में कृष्ण अपनी दायित्वपूर्ण नयी लीला का अंतिम रूप देने के लिए हस्तिनापुर को निभाने प्रस्थान करते है। आंखों से आंसू बह रहे, यमुना जल में अश्रुधार के कई प्रनाले मिल रहे अब सब व्यर्थ है फूलों का हार रख दो, हमने निकुंज में श्याम को ढूंढा है, श्याम कहीं नहीं है। यह वन और यमुना का किनारा श्याम के बिना सुना है।
यह वह समय था जब श्री कृष्ण बाल – गोपाल, गोप- गोपियां, गौ, मयूर, यमुना, मैया यशोदा यहां तक कि अपनी राधा को छोड़कर धर्म का पालन के लिए हस्तिनापुर प्रस्थान करते है।
राधिका नृत्य नाटिका: नाटिका के नृत्य रूपांतरण की शैली कथक और रवींद्र नृत्य के भाव का सम्मिलित प्रयास है, नाटिका राधिका…
नेपथ्य: मंच सज्जा: आदर्श वैभव, सत्य प्रकाश, विनय
मंच परिकल्पना: शरद कुमार
प्रकाश परिकल्पना: उपेंद्र कुमार
मंच व्यवस्था: नितेश कुमार मेकअप: अदिति सिन्हा, अभिलाषा कुमारी; वस्त्र विन्यास: पूनम बुटीक, कंकड़बाग। मंच संचालन : श्वेता सुरभि
मंचपर: नृत्य कलाकार : मीनाक्षी मधुश्री, पुष्पांजलि कुमारी, तान्या शर्मा, मुस्कान साव, अदिति शरण्या, अंनिका मुखर्जी, कशिश राज
पीयूष मिश्रा, सलोनी शर्मा
संस्था की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सभी अतिथियों को शॉल पुष्प गुच्छ से सम्मानित किया तथा सभी प्रतिभागी कलाकारों को सर्टिफिकेट, पुरुस्कार देकर सम्मानित किया। कथा : रवींद्र नाथ टैगोर की पदावली
परिकल्पना डिजाइन व निर्देशन: यामिनी
अतिथि: मुख्य अतिथि: राज कुमार नाहर (डायरेक्टर दूरदर्शन, पटना)
विशिष्ट अथिति: कृपादास (अध्यक्ष, इसकोन, पटना)
सम्मानित अतिथि: आलोक कुमार (विशेष सचिव, उद्योग विभाग, बिहार सरकार)