तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम द्वंद – प्रतिद्वंद की
स्थिति से बाहर निकलोगे।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम प्रेम और घृणा
दोनों का त्याग करोगे ।।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम संतोष और
असंतोष से ऊपर उठोगे।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम कल्प – विकल्प
से संकल्प में स्तिर होगे।।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम क्रोध – क्षमा
का हरण करोगे।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम अनुकूल –
प्रतिकूल में सम रहोगे ।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम इस देह में रहते
हुए विदेह हो जाओगे।।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम इच्छा – अनिच्छा से
स्वेच्छा में अवस्थित हो जाओगे।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम सुख और दुःख
के भवर से पार हो जाओगे।।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
मेरा प्रेम, तुम्हें स्वार्थ लगता है,
मेरी दूरी में निष्ठूर्ता; जब तुम
भावना शून्य हो जाओगे।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
जब तुम वाह्य जगत से
अंतः जगत में लौटोगे।।
तुमसे, मैं मिलूंगा!
- अवधेश झा
(भगवान ने कहा: तुमसे, मैं मिलूंगा!)