गांधी एवं महिला सशक्तिकरण पर संगोष्ठी

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पटना: 03 अक्टूबर 2021:: गांधी जयंती के अवसर पर भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना में चल रहे त्रिदिवसीय गांधी चित्र- प्रदर्शनी सह खादी-मेला के दूसरे दिन “गांधी एवं महिला सशक्तिकरण” और “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राओं एवं एनसीसी फीमेल कैडेट्स ने भागीदारी की। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना द्वारा किया गया है।

 कार्यक्रम में रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना के निदेशक विजय कुमार ने कहा कि गांधी के दर्शन और उनके विचारों को हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गांधी के विचारों और आदर्शों पर चलकर हम एक स्वच्छ और सुंदर राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से गांधीजी के पूरे जीवन काल को न केवल दर्शाया गया है बल्कि बिहार में उनके आगमन के पूरे कालखंड की चर्चा भी प्रदर्शनी में की गई है।

 संगोष्ठी के मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में शामिल बीएसएफ-5 की कमांडेंट हरप्रीत कौर ने 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका' पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई, सुभद्रा कुमारी चौहान, बेगम हजरत महल, एनी बेसेंट, मैडम भीकाजी कामा, कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, विजय लक्ष्मी पंडित, सुचिता कृपलानी, सुमित्रा बाई फुले का स्मरण करते हुए कहा कि ये उन महान महिला स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने घर परिवार की देख-रेख करते हुए राष्ट्र की सेवा की और देश की आजादी में अपनी अमिट छाप छोड़ी। हमें उनसे न केवल सीखने की आवश्यकता है बल्कि उनके पद चिन्हों पर चलने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति समाज में नजरिया बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बिहार में महिला सशक्तिकरण पर बहुत काम हुआ है। पूरे भारत भर में बिहार में महिला फोर्स की संख्या सबसे अधिक 25.3% है। इसके बाद तमिलनाडु करना का नंबर आता है।

    'गांधी एवं महिला सशक्तिकरण' विषय पर छात्राओं को संबोधित करते हुए विशिष्ट वक्ता के रूप में शामिल उद्योग विभाग, बिहार सरकार के विशेष सचिव दिलीप कुमार ने कहा कि गांधी जी का जीवन ही संदेश है, जिसे हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गांधीजी शुरुआती दौर में महिलाओं के घर के अंदर रहने के पक्षधर थे लेकिन बाद के वर्षों में उन्होंने महिलाओं को बाहर निकलने और आजादी के आंदोलन में रचनात्मक कार्यों में शामिल होने पर जोर दिया। 

   संगोष्ठी के दौरान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पंजीकृत सांस्कृतिक दल के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।

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