- जितेन्द्र कुमार सिन्हा
नई दिल्ली, 30 मई 2021 :: काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक ऐसी तकनीक विकसित किया है, जिसकी मदद से सिर्फ तीन घंटे में ही कोविड की जाँच हो सकती है और यह पता चल जायेगा कि व्यक्ति को कोरोना है या नहीं। इस तकनीक से गरारा करके कोरोना का जाँच किया जा सकेगा। आईसीएमआर ने इस तकनीक को मंजूरी दे दी है।
सूत्रों ने बताया कि इस जाँच में स्वैब का कलेक्शन लेना जरूरी नहीं होता है। इस तकनीक में एक ट्यूब होती है, जिसमें सलाइन रहता है, जिन व्यक्ति को कोरोना की जांच करना है, उसे इस सलाइन को मुंह में डालना और फिर 15 सेकंड तक गरारा करने की जरूरत होगी। जब शख्स गरारा कर लेगा तो फिर उसे ट्यूब में थूकना होता है और जाँच के लिए दे देना होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस तकनीक को रिमार्कबल इनोवेशन कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि ”यह स्वैब फ्री तकनीक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।”
कोरोना संक्रमण के बीच भारत में रोजाना लाखों की संख्या में कोविड जांच हो रही हैं। विगत एक वर्ष में कई बार कोरोना जांच के रिकॉर्ड्स बने हैं। कोविड जाँच में लोगों का ज्यादा भरोसा आरटी-पीसीआर जाँच पर है।
इस तकनीक में व्यक्ति को सलाइन मुँह में लेकर गरारा करना पड़ता है और फिर 15 सेकंड तक गरारा करने के बाद उसे ट्यूब में थूकना कर जाँच के लिए दे देना पड़ता है और तीन घंटे में आरटी-पीसीआर वाली रिपोर्ट मिल जाता है। इस तकनीक को आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है और बाकी लैब्स को ट्रेनिंग दिया जा रहा है। यह तकनीक इतना आसान है की लोग स्वयं से भी यह जाँच कर सकते है। स्वयं जाँच करने से जाँच केन्द्र पर भीड़ नहीं लगेगी और समय भी बचेगा। इस तकनीक के कारण जाँच केन्द्रों पर दूसरों से संक्रमित होने का भय भी नहीं रहेगा।