कत्थक नृत्य में प्रयोग का नया मानदंड स्थापित किया कुमुदिनी लाखिया: कत्थक कलाकार डॉ रमा दास

Uncategorized

पटना: 13 अप्रैल 2025 :: सांस्कृतिक संस्था कलात्रयी द्वारा पटना मे आयोजित एक शोक सभा में कई कलाकारों और कला मर्मज्ञों ने वरिष्ठ कत्थक कलाकार तथा नृत्य गुरु, कुमुदिनी लाखिया को श्रद्धांजलि अर्पित की। पद्म विभूषण कुमुदिनी लाखिया का निधन अप्रैल 12, (2025) को अहमदाबाद में हुआ था. वे 95वर्ष की थीं। वे अपने पीछे एक बेटा और बेटी के अतिरिक्त सैकडों शिष्य शिष्याएँ छोड गई हैं जिन्हे उन्होंने अपनी संस्था कदंब के माध्यम से कत्थक नृत्य शैली में पारंगत किया था।
कुमुदिनी लाखिया ने कत्थक नृत्य के जयपुर, लखनऊ और बनारस तीनो घरानो की शिक्षा ली थी और 50-60 के दशको मे ही विश्व के कई देशों में कार्यक्रम किया था. कुछ वर्ष पहले ही उन्हे पद्म विभूषण सम्मान से विभूषित किया गया था। उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ कत्थक कलाकार डॉ रमा दास जो अपने शोधकार्य के सिलसिले में कुमुदिनी लाखिया के संपर्क में आईं थीं और उनके नृत्य शैली का गहन अध्ययन किया था, उन्होने कहा कि कुमुदिनी जी ने कत्थक नृत्य शैली की तालीम कई गुरुओं से ली थी और वे इसके हर पक्ष में निष्णात थीं. लेकिन वो अपने प्रयोगों के लिए अधिक जानी जाती रहीं थीं.
“मैने कत्थक नृत्य पर अपने शोधकार्य के समय उन्हे बहुत पढा और देखा. मेरे शोध का विषय ही रहा ‘कत्थक नृत्य में प्रयोगधर्मी कलाकारों की विशेषताएं’. अतः उनके संपर्क मे आना लाजिमी था. बात चीत मे एक बात जो स्पष्ट हुई कि वो कत्थक के पारंपरिक रूप से बहुत संतुष्ट नहीं थीं. उन्हे लगता था कि कत्थक में जो पोटेंशियल है, वो इसके पारंपरिक प्रस्तुति करण मे पूरी तरह नहीं उभर पाता. अतः इसमें कोरियोग्राफी के माध्यम से इसकी क्षमता को बेहतर तरीके से दिखाया जा सकता है. और उन्होने अपने कोरियोग्रैफिक प्रस्तुतीकरण से यह साबित भी किया था।
“वो मेरी प्रेरणा थीं. मैने कुमुदिनी जी को याद करते हुए कई प्रयोगातमक प्रस्तुति किए,” उन्होने कहा। रमा दास ने कहा कि इन दिनो वे अपने शोधकार्य को प्रकाशित करने में व्यस्त हैं. “मेरी इच्छा थी कि यह किताब स्वयं अहमदाबाद जाकर कुमुदिनी जी को भेंट करूँ. लेकिन अफसोस कि अब यह कभी संभव नहीं हो पाएगा. किताब तो प्रकाशित होगी ही, लेकिन कुमुदिनी जी के हाथों में इसे नही सौप पाने का मलाल रह जाएगा.
इस अवसर पर संगीत मर्मज्ञ दिनेश कुमार, शास्त्रीय गायिका डॉ रेखा, शैलेन्द्र इत्यादि ने भी अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ रमा दास, निदेशक, कलात्रयी पटना ने दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *