बिहार दिवस: 22 मार्च को, 113 वर्ष का हुआ बिहार

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  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना, 24 मार्च, 2025 :: भारत के मानचित्र पर बिहार प्रान्त का अस्तित्व 01ली अप्रील, 1912 को आया था और बिहार बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बना था। लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा बिहार, उड़ीसा तथा छोटनागपुर को बंगाल से अलग करने की घोषणा 12 दिसम्बर, 1911 को की गई थी, जिसकी अधिसूचना 22 मार्च, 1912 को निकाली गई थी, इसलिए बिहार दिवस प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। इस प्रकार  इस वर्ष बिहार 113 साल का होगा।

इतिहास बताता है कि पलासी के युद्ध से पूर्व बिहार एक अलग सुवा हुआ करता था, परन्तु बक्सर की लड़ाई के बाद बंगाल, बिहार और उड़िसा “इस्ट इंडिया कम्पनी” के हाथ में चले जाने के कारण बिहार के सुवा रहने का अस्तित्व समाप्त हो गया और वर्ष 1886 में बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया और यह हिस्सा वर्ष 1905 तक बना रहा।

बिहार जबतक प्रेसीडेंसी का हिस्सा रहा तबतक बिहार को लोअर बंगाल कहा जाता था। वर्ष 1905 में बंगाल प्रेसीडेंसी से पूर्वी बंगाल को अलग कर दिया गया और वर्ष 1912 में बंगाल से बिहार अलग होकर उड़िसा के साथ अलग प्रान्त बना। 01ली अप्रील, 1936 को उड़िसा से अलग होकर बिहार, और वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर नया राज्य झारखण्ड, बना।

वेदों, पुराणों, महाकाव्यों में बिहार का प्राचीन नाम “बौद्ध बिहार” का उल्लेख है। सर्वविदित है कि बिहार का केन्द्र बिन्दु प्राचीनकाल से सामाजिक, राजनीतिक तथा उत्थान का रहा है। बिहार की भूमि चन्द्रगुप्त, अशोक, शेरशाह जैसे लोगों की जन्म एवं कर्म स्थली और गौतमबुद्य वर्धमान महावीर की ज्ञान स्थली रहा है। वहीं बिहार की भूमि का गाथा महात्मा गाँधी, जयप्रकाश नारायण, चाणक्य, आर्यभट्ट, समुंद्रगुप्त, विद्यापति, गुरु गोबिंद सिंह, बाबू कुंवर सिंह, सच्चिदानन्द सिन्हा, ब्रजकिशोर प्रसाद, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना मजहरुल हक जैसे महापुरुषों से जुड़ा है।

बिहार समृद्ध इतिहास से भरा-पूरा एक अनूठा राज्य है। माना जाता है कि बिहार शब्द की उत्पत्ति  बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुई है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड है। वर्तमान में बिहार की राजधानी पटना गंगा नदी के तट पर स्थित है। विश्व में बिहार मखानों और मधुबनी चित्रकारी के लिए मशहूर है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम की पत्नी सीता बिहार की राजकुमारी थी। वह विदेह ( वर्तमान में उत्तर-मध्य बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मधुबनी और दरभंगा) के राजा जनक की बेटी थी । किंवदंतियों के अनुसार, सीता का जन्म स्थान पुनाउरा है, जो सीतामढ़ी शहर के पश्चिम में स्थित है। हिन्दू महाकाव्य ‘रामायण’ के लेखक महर्षि वाल्मीकि के बारे में भी कहा गया है कि वे पश्चिम चंपारण जिले के एक छोटे से शहर वाल्मीकि नगर में रहते थे।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने किया था। उस समय उनका उम्र लगभग अस्सी साल था और उनका स्वास्थ्य भी कमजोर था, लेकिन उन्होंने लगभग एक वर्ष तक एक अच्छी लड़ाई लड़ी और ब्रिटिश सेना को परेशान किया तथा अंत तक अजेय रहे। वे छापामार युद्ध की कला के विशेषज्ञ थे। उनकी रणनीति ने ब्रिटिशों को हैरान कर दिया था। ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर ईसा से लगभग छठी सदी पहले विश्व का पहला ‘गणराज्य’ वैशाली ही था। वैशाली नगर वज्जी महाजनपद की राजधानी थी।

पुरानी बस्ती “चिरांद गाँव” जो बिहार की सारण में है वो करीबन 2500 वर्ष पूर्व की है। बिहार से “नूर उल अनवर” उर्दू समाचार पत्र का सर्वप्रथम प्रकाशन वर्ष 1853 में आरा से, “बिहार बंधु” हिन्दी समाचार का प्रकाशन सर्वप्रथम बिहारशरीफ से बाद में वर्ष 1872 में आरा से तथा “बिहार हेराल्ड” अंग्रेजी समाचार पत्र का प्रकाशन वर्ष 1874 में पटना से शुरू हुआ था।

बिहार राज्य का चिन्ह “पीपल”, पुष्प “गेंदा”, पशु “बैल” और पंछी “गोरैया” है। बिहार में प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को  “गोरैया” दिवस मनाया जाता है।

बिहार दिवस संपूर्ण बिहार में मनाया गया:

बिहार दिवस 2025 के शुभ अवसर पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के पवेलियन में आपदाओं से बचाव के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने हेतु विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जा रही हैं।
प्राधिकरण द्वारा संचालित मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत मध्य विद्यालय नवीन आदर्श, पुलिस लाइन, पटना, कन्या मध्य विद्यालय, गोलघर एवं राजा राम मोहन राय सेमिनरी, खजांची रोड के छात्र-छात्राओं ने आपदा से बचाव के महत्वपूर्ण गुण सीखे। बच्चों को कठपुतली शो, नुक्कड़ नाटक, अंताक्षरी प्रतियोगिता एवं चित्रकला के माध्यम से आपदाओं से बचाव की जानकारी दी गई।
प्राधिकरण के पवेलियन में ड्रोन के माध्यम से आपदाओं से बचाव की तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है। साथ ही, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) द्वारा आयोजित डॉग शो में आपदा के समय खोज और बचाव अभियान की बारीकियों को समझाया गया, जिसमें विशेष रूप से भूकंप के बाद मलबे में दबे लोगों की खोज की तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। संवर्धित वास्तविकता और आभासी वास्तविकता (एआर-वीआर) 365 डिग्री तकनीक के माध्यम से लू, आग, भूकंप जैसी आपदाओं की जानकारी वर्चुअल वातावरण में प्रदर्शित की जा रही है।
दिव्यांगजन आपदा सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत दिव्यांग बच्चों द्वारा नाटकों के माध्यम से भूकंप, बाढ़, डूबने की घटनाएँ, आग से सुरक्षा, सड़क सुरक्षा एवं वज्रपात से बचाव की जानकारी दी जा रही है। साथ ही, इन बच्चों द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों का प्रदर्शन एवं विक्रय भी किया जा रहा है।
प्राधिकरण द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग से एक अनूठी प्रदर्शनी आयोजित की गई है, जिसमें आईआईटी-पटना, बिहार मौसम सेवा केंद्र (बीएमएसके), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जीपीएसवीएस, दोस्ताना सफर, सीड्स, उत्कर्ष एक पहल, सोटो, वोल्ट्रॉन एआर/वीआर गेम स्टूडियो, बिहार अग्निशमन सेवा जैसी संस्थाएँ शामिल हैं।

गांधी मैदान में उद्योग विभाग पवेलियन बना आकर्षण का केंद्र:

बिहार के गौरवशाली कला, संस्कृति और उद्यमिता का महोत्सव: 100+ स्टॉल और 10 लाइव डेमो के माध्यम से हथकरघा, हस्तशिल्प, लघु उद्योग और स्थानीय कारीगरों की अनमोल कृतियों का भव्य प्रदर्शन। यह मंच न केवल स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक पहचान दिलाने में भी सहायक सिद्ध होगा।

आइए, बिहार की समृद्ध विरासत का हिस्सा बनें और हमारे हुनरमंद कारीगरों का हौसला बढ़ाएं!
         

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