युवा नए वर्ष में शास्त्रीय नृत्य- संगीत परंपरा से जुड़ने का संकल्प लें: डॉ रमा दास, वरिष्ठ कत्थक कलाकार

Art and culture

  • हिन्द चक्र विशेष संवाददाता

पटना: नए वर्ष के स्वागत में कलात्रयी द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक संध्या रागों, कत्थक नृत्य के बोल, कवित्त और भाव- भंगिमाओं से सजी रही। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कत्थक कलाकार डॉ रमा दास ने कहा कि नए वर्ष का स्वागत रागों और नृत्य मुद्राओं से होना, एक सुखद परंपरा है।
“शास्त्रीय संगीत और नृत्य का नई पीढ़ी में विस्तार हो, नए साल में यही शुभकामना है”, उन्होने कहा। डा रमा ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य और संगीत अपने देश की प्राचीन संस्कृति की पहचान है। “शास्त्रीय नृत्य तो पौराणिक कथाओं का ही प्रदर्शन है। उसी के भाव और घटनाएँ शास्त्रीय नृत्य में अभिनय के माध्यम से दिखाए  जाते हैं। युवा पीढ़ी इससे जुड़ें तो अपनी संस्कृति, अपनी परंपरा को अच्छी तरह जुड़ जाएंगे”, रमा जी ने कहा। डाॅ रमा ने कुछ बोल-परन और कवित्त भी सुनाए तथा उनपर अभिनय भी दिखाया।
लेखक और वन पदाधिकारी, दिनेश कुमार ने कहा कि कला-संस्कृति और साहित्य व्यक्ति में मानवीय गुणों का विकास करता है। “इस दौर जब युवा पीढ़ी मोबाइल नेटवर्क में पूरी तरह से फंस चुकी है, उसमें केवल कला संस्कृति और साहित्य ही है जो इस पीढ़ी को वापस ला सकती है और उसे समाज से जोड़ सकती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शहर के कलाकार, कलाप्रेमी और साहित्यकार मौजूद रहे।

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