- मिथिलेश कुमार पाठक
पटना, 02 अक्तूबर :: बिहार सरकार ने राज्य के मीडिया कर्मियों को बिहार पत्रकार बीमा योजना के तहत इंश्योरेंश और मेडिक्लेम की सुविधा देने के लिए नेशनल इंश्योरशन कम्पनी से अनुबंध करती है। यह अनुबंध वर्ष 2024- 25 के लिए भी किया गया है, जिसमें 676 पत्रकार शामिल हैं।
पत्रकार नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी से परेशान हैं। इंश्योरेंस सह मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत जब पत्रकार अपनी चिकत्सा कराते हैं तो मेडिक्लेम की राशि 5 लाख में से 3.50 लाख उपभोग होने पर पत्रकार को फोन से सूचित कर दिया जाता है कि आपकी मेडिक्लेम की राशि समाप्त हो गया है। ऐसी घटना विगत वर्ष 2023- 24 में खुब देखने को मिली।
वर्तमान वित्तीय वर्ष में उससे भी भयानक घटना देखने को मिल रही है। मानव अधिकार टाइम्स डॉट कॉम (पोर्टल) के लब्ध प्रतिष्ठित संपादक मिथिलेश कुमार पाठक ने अचानक अपनी तबियत खराब होने के कारण स्वयं की चिकित्सा के लिए 24 सितम्बर 2024 को जक्कनपुर थाना के समीप स्थित ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ में ईलाज के लिए भर्ती हुए। मिथिलेश कुमार पाठक ने नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा दिए गए हेल्थ कार्ड को राज ट्रस्ट हॉस्पिटल को देने पर उन्होंने ईलाज पर होने वाली संभावित खर्च 85 हजार रुपए का रिक्वेस्ट थर्ड पार्टी “एमडी इंडिया” को भेजा। ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने 85 हजार रुपए के विरुद्ध प्रथम फेज के लिए 22,300 रुपए का एप्रूवल देकर ईलाज करने की स्वीकृति यह कहते हुए दी कि शेष फायनल राशि मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद थर्ड पार्टी ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के द्वारा स्थित ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ को दिया जाएगा।
अब नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने अपनी खेला शुरू किया। जब मिथिलेश कुमार पाठक को ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ द्वारा जब 29-सितम्बर 2024 को डिस्चार्ज किया गया और ईलाज पर हुए खर्च राशि का बिल भुगतान करने के लिए ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी को भेजा। कम्पनी ने ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ द्वारा भेजे गए बिल और पूर्व में हॉस्पिटल को दिए गए एप्रूवल राशि दोनों को रिजेक्ट कर दिया।
अब सोचनीय विषय है कि उस गरीब पत्रकार पर क्या बीती होगी। कहां से तत्काल उतनी बड़ी राशि का भुगतान ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ को कैसे किया होगा।
अब प्रश्न उठता है कि जब ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम है नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा अप्रूवल देने के बाद और पत्रकार की चिकत्सा के उपरांत बिल देने पर बिल और अप्रूवल का कैंशिल करना, धोखा धरी, मेंटल हैरेसमेंट, आर्थिक कर्ज में डालने आदि का दोषी साबित होता है।
बिहार सरकार को चाहिए कि नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड कर अन्य पत्रकारों को इस तरह के टॉर्चर होने से बचाएं।