संगीत शिक्षायतन: अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 2 दिवसीय संगोष्ठी सह योग साधना कार्यक्रम का आयोजन

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पटना: दिनांक 21 जून 2024 :: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शिक्षायतन प्रांगण में “चेतना : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ योग एंड डांस रिसर्च सेंटर” तथा संगीत शिक्षायतन पटना” के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें संगोष्ठी तथा योग साधना का अभ्यास किया गया।
संगोष्ठी के तीन प्रमुख विशेषज्ञ-
श्री अवधेश झा (ट्रस्टी, ज्योतिर्मय ट्रस्ट, यूनीट ऑफ योग रिसर्च फाऊंडेशन, यूएसए)
श्री अभिषेक कर्ण (मास्टर इन योग एंड एक्यूप्रेशर) तथा
श्रीमती यामिनी (कथक नृत्यांगना व योग – नृत्य रीसर्च स्कॉलर) उपस्थित थे।

साधना सत्र रिदामिक योग में 25 साधनार्थियो ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रज्वलन से हुई।

संगोष्ठी की शुरुवात में अवधेश झा (ट्रस्टी, ज्योतिर्मय ट्रस्ट, यूनीट ऑफ योग रिसर्च फाऊंडेशन, यूएसए) ने संबोधित करते हुए योग जीवन शैली के मंत्र को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा “योग के माध्यम से भारतीय महिलाओं को सशक्त करने की पहल वास्तव में एक उत्तम योजना है। देश की आधी आबादी जितनी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व आध्यात्मिक रूप से उन्नत होंगी, उतना ही उन्नत समाज का निर्माण होगा। फिर उन्नत राष्ट्र उन्नति के शिखर पर वैश्विक मानचित्र पर हिमालय की तरह तटस्थ प्रतीक होगा। योग साधना में भारतीय महिलाएं पुरुषों के समांतर ही चली आ रहीं हैं। जहां शिव आदि योगी है, वहीं माता पार्वती महायोगिनी हैं।
आधुनिक युग में भी भारतीय महिलाएं योग अपने जीवनशैली में अपना कर आगे बढ़ रही है। लेकिन इसकी संख्या कम है इसे बढ़ाने की जरूरत है। योग से आत्मविश्वास का सृजन होता है। योग से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है तथा नव चेतना जागृत होती है और नव विचारों से आत्मनिर्माण होता है। और सर्व कल्याण का मार्ग भी है।”

संगोष्ठी के दूसरे विशेषज्ञ श्री अभिषेक कर्ण (मास्टर इन योग एंड एक्यूप्रेशर) ने ध्यान की प्रक्रिया को प्रकाशित किया। 10वे योग दिवस के अन्य थीम ‘योगा फॉर सेल्फ एंड सोसाइटी ‘ पर अपने विचार में स्वयं के लिए समय निकालना अति आवश्यक है। एक अकेले के प्रयास से व्यक्ति अपने आस पास के माहौल को ऊर्जावान बना सकता है। संगोष्ठी में शामिल दर्शको और अभ्यर्थियों ने सवाल भी पूछे। जैसे ध्यान करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? जिसके जवाब में बताया कि हमारी दिनचर्या में ही पहले एकाग्रचित होने या मन लगाकर काम करने की आदतों को लाना चाहिए। धीरे धीरे यह व्यवहार में बदलाव लाते है फिर जब योग साधना के लिए ध्यान क्रिया में बैठते है तो गुणात्मक लाभ मिलता है।
तथा साथ ही सूक्ष्म और शारीरिक सबलाता के आना का अभ्यास कराया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रातः शिक्षायतन के योग नृत्य के शिक्षार्थियों ने रिदामिक योग का अभ्यास किया और नृत्य में योग की प्रांगिकता को समझा। कथक नृत्यांगना व योग – नृत्य रीसर्च स्कॉलर सुश्री यामिनी ने कहा
“एक नर्तक या नर्तकी को नृत्य प्रशिक्षण के दौरान से ही योग की भी शिक्षा और अभ्यास करना आवश्यक है। योग से आचरण – व्यवहार में सात्विकता आती है। सात्विक प्रवृति नृत्य कलाकारों में गुणों को ग्रहण करने की क्षमता को विकसित करती है। साधना के लिए एकाग्रता बढ़ती है। सात्विक व्यक्तित्व शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। अतः नृत्य प्रस्तुति दिव्य अलौकिता के साथ प्रदर्शित होती है। उसी तरह से नृत्य में स्वास लेने और छोड़ने के भी अपने स्थान और उसके प्रभाव स्पष्ट है।जिसमे प्राणायाम साधना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।”
योग मुद्रा पर आधारित लयात्मक योग की प्रस्तुति डॉली जैसवाल, पाखी, नीतू, सोनी, प्रियंका, सविता, तान्या शर्मा, पियुषी मिश्रा, शिवानी कुमारी, उन्नति, सिमरन, सानवी, अर्पिता, तान्या, प्रिशा, समृद्धि, परी, कौशिकी कृति ज्ञानवि, अवनी, दृश्या, दीक्षिता, सूफी, समृद्धि आकृति, पियूष, अभिज्ञान, अभिराज, अक्षत, सक्षम, नमेश आदि ने प्रस्तुत किया।

विशेषज्ञयो का सम्मान संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा द्वारा तथा अंजना सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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