दरभंगा : 17 अप्रैल 2023 :: मिथिला ही नहीं बल्कि पूरे देश मे त्रिस्कन्ध ज्योतिष शस्त्र के थे मूर्धन्य विद्वान बाहर तक ज्योतिष के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान व स्थान रखने वाले प्रख्यात ज्योतिर्विद डॉ प्रो कालीकान्त मिश्र ‘ विमल ‘ अब इस दुनिया मे नहीं रहे। स्थानीय बेलशंकर मुहल्ला में अपने आवास पर कल यानी 16 अप्रैल की रात करीब 10.35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बहेड़ा के तूमौल गॉव में उनका जन्म दो जनवरी 1944 को हुआ था। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
उक्त जानकारी देते हुए ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. आचार्य राजनाथ झा ने बताया कि गुरुजी वैसे तो बड़े ज्योतिषाचार्य के रूप में जाने जाते थे लेकिन संस्कृत साहित्य समेत अन्य विषयों पर भी उनकी खासी पकड़ थी और छत्रों को बहुत स्नेह करते थे दीप मधुबनी संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय में आपने शताधिक ज्योतिष के छत्रों को गणित फलित ज्योतिष में निपुण बनाया संस्कृत विश्वविद्यालय के अधीनस्थ महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य किये 2004 में ज्योतिष संकायाध्यक्ष के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग से वे सेवानिवृत हुए थे। उन्होंने काव्य संग्रह विषपान एवं गीत संग्रह की रचना भी की थी। उन्हें कई संगठनों से पुरस्कृत व सम्मानित किया गया था।
इधर उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए डॉ. ललन शंकर झा ने कहा कि डॉ मिश्र के चले जाने से एक युग का अंत हो गया। संस्थान में शोक संवेदना व्यक्त की गई जिसमें , डॉ. राघव नाथ झा,डॉ. रिपुशुदन झा, डॉ राकेश कुमार झा,नवीन झा, अभिनब मिश्र समेत सभी कर्मी शामिल रहे।