उन्मादियों का स्थाई इलाज होना चाहिए

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  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना :: अमृतसर (पंजाब) के अजनाला पुलिस थाने पर हुए हमले ने, देश के सामने, गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। चिंताजनक स्थिति यह है कि हमलावरों ने बंदूक और तलवार से तो लैस था ही, साथ ही सिखों के पवित्र ग्रंथ को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है। एक वाहन में गुरु ग्रंथ साहिब के “सरूप” (प्रति) थाना ले आया था। ताकि पुलिस गुरु ग्रंथ साहिब को देखकर कुछ न करे, और ऐसा ही हुआ।

अजनाला पुलिस थाने की यह घटना, देश के लिए खतरे की घंटी लगती है कि सिरफिरे लोग कानून- व्यवस्था को पंगु बनाने के लिए किस हद तक जा सकते है। अगर समय रहते उन्मादियों का स्थाई इलाज नहीं किया गया और स्थिति इसी तरह बनती रही तो आने वाले समय में स्थिति बद से बदतर हो सकता है। सरकार को इस तरह की घटना को तुरंत रोकने की कारगर पहल करने की जरूरत है।

देश ने अस्सी की दशक में एक ऐसा दंश देखा था, इसलिए इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए केन्द्र सरकार को पहल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पंजाब में उन्माद का वैसा माहौल फिर से तैयार न हो।

पंजाब में फिलहाल कानून व्यवस्था की जो बेइज्जती हुई है इस पर, लोगों का ध्यान केन्द्रित होना चाहिए। क्योंकि पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब में खालिस्तान समर्थकों की हलचल बढ़ने की बात आम दिन समाचारों में देखने सुनने को मिलती रहती है। वही, दुबई में दस वर्ष रहकर पंजाब लौटने वाले खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने नई संगठन “वारिस पंजाब दे” का कमान संभाला है और खालिस्तान समर्थकों को एकजुट करने में लगा हुआ है।

“वारिस पंजाब दे” संगठन को दीप सिद्धू ने बनाया था, जिसकी मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो गई थी। देश में हुए किसान आंदोलन के समय लाल किले की घटना के बाद लोगों ने उसको जाना था।

अजनाला पुलिस थाने की पुलिस को हाथ बांधे खड़े रखने को मजबूर करने का यह खतरनाक खेल का नेतृत्व, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह कर रहे थे। अजनाला पुलिस थाने पर हुए हमले में, हमलावरों ने बंदूक और तलवार से तो लैस होकर और गुरु ग्रंथ साहिब का सहारा लेकर, अपहरण और मारपीट के मामले में गिरफ्तार लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान की रिहाई का मांग कर रहा था। लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान उनके सहयोगी थे। परिस्थितियां ऐसी बनी की लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को छोड़ना पड़ा।

संगठित अपराध और हिंसा की घटनाओं ने पंजाब सरकार को पहले से ही कटघरे में खड़ा कर रखा है और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्र सरकार को भी सचेत किया है कि समय रहते ही ऐसे उन्मादियों का स्थाई इलाज करें, क्योंकि जिस प्रकार विरोध प्रदर्शन में गुरु ग्रंथ साहिब का इस्तेमाल किया गया है तो निश्चित ही अगली बार इसी तरह का कुछ और करने का प्रयास करेगी।

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