- जितेंद्र कुमार सिन्हा
पटना: कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, पटना। भारत की विशिष्ट पहचान अनेकता में एकता के स्वरूप का संगीत के जरिए अद्भुत दर्शन हुआ .. मैसूर से पधारे वायलिन वादक विद्वान मैसूर मंजूनाथ उनके पुत्र श्री सुमंत मंजूनाथ तथा बेंगलुरु से आए मृदंगम के विद्वान अर्जुन कुमार एवं कोलकाता से पधारे घट्टकम वादक विद्वान सोमनाथ राय ने संगीत का ऐसा जादुई वातावरण तैयार किया है कि श्रोता जन बैठकर संगीत सरिता मे हिचकोले खाते रहे l कला महाविद्यालय एवं स्पीक मैके के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का आरंभ डॉoमाया शंकर द्वारा द्वीप प्रज्वलित करके हुआ , प्राचार्य डॉo अजय कुमार पांडेय ने पुष्पगुच्छ देकर कलाकारों का स्वागत किया l वायलिन वादन राग काफी से प्रारंभ हुआ और राग द्विजवंती से पूर्ण हुआ l प्रश्नोत्तर काल में कलाकारों ने अपने जीवन की संगीत यात्रा के बारे में बताया l मैसूर मंजूनाथ ने कला का उदाहरण देते हुए छात्रों को बताया कि जैसे आप विविध रंगों का उपयोग करके चित्र निर्माण करते हैं ,वैसे ही हम से वाद्य यंत्रों के जरिए अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करते हैं जैसा कि आपने देखा कि हम सभी कलाकारों ने जो अलग-अलग हिस्से से हैं पूर्व में कोई अभ्यास नहीं किया और आपके समक्ष प्रस्तुति दे रहे हैं यही हमारी संगीत शिक्षा का महत्व है , संगीत संवाद होता है और जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है , हर मौके पर संगीत एक अनिवार्य सत्य की तरह होता हैl हमारी संस्कृति में इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी है क्योंकि इसका संबंध हृदय से है, मानवता से है l इसीलिए कहा जाता है कि संगीत समझने से ज्यादा महसूस करने की चीज है l इस अवसर पर सुदीपा घोष, प्रभाकर नंदन, अनुदीप डे, विनोद कुमार, शशि रंजन प्रकाश, रत्नाकर पीयूष, मजहर इलाही, मनीष कुमार समेत महाविद्यालय के विद्यार्थी , शिक्षक , कर्मचारीगण तथा शहर के गणमान्य एवं संगीत प्रेमी उपस्थित थे।