दिनेश जय सिंह ने “अप्लास्टिक एनीमिया” जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे को मौत के मुँह से निकाला

Health and motivation

  • निष्ठा सोलंकी

दिल्ली: 30 जनवरी 2023 :: दिल्ली के अलीपुर इलाक़े में अप्लास्टिक एनीमिया जैसी एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी से जूझते आदित्य सिंह की ज़िंदगी की आस जब डॉक्टरों ने भी खो दी तब तक उस बच्चे का परिवार आर्थिक और मानसिक स्थिति से पूरी तरह टूट चुका था। 11 वर्ष की उम्र में अपने बच्चे की ज़िंदगी को बचाने की उम्मीद खो चुके उस परिवार के जीवन में फ़रिश्ते की तरह आए एक शख़्स ने ना सिर्फ़ आदित्य को मौत के मुँह से निकाला बल्कि आज आदित्य को उन्होंने पूरी तरह से स्वस्थ होने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। दिसंबर 2022 में जिस बच्चे की प्लेटलेटस काउंट 2 हज़ार आ गई थी और हर हफ़्ते जिसे प्लेटलेट्स चढ़वाने के लिए अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते थे वही जनवरी 2023 में उस बच्चे की प्लेटलेटस 2 लाख 92 हज़ार हो गई।

क्या है अप्लास्टिक एनीमियाः अप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इस कंडिशन में आपका बोन मैरो नए ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाता है। इसे बोन मैरो की डिसओडर (Bone marrow failure disorder) को मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic syndrome) भी कहा जाता है, जिससे आपको अधिक थकान महसूस होती है, संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और अनियंत्रित रक्तस्राव होता है। यह अचानक हो सकता है या फिर धीरे- धीरे विकसित होता है। अप्लास्टिक एनीमिया कम या बहुत गंभीर हो सकता है। दवाएं, ब्लड ट्रांस्फ्यूजन या स्टेम सेल ट्रांस्प्लांट जिसे बोन मैरो ट्रांस्प्लांट कहा जाता है, के जरिए अप्लास्टिक एनीमिया का उपचार किया जाता है। डॉक्टर इस स्थिति को अप्लास्टिक एनीमिया बोन मैरो फेलियर (Aplastic anemia Bone marrow failure) भी कहते हैं।

अप्लास्टिक एनीमिया किसे हो सकता है: अप्लास्टिक एनीमिया किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह टीनेज और 20 की उम्र वालों में ये ज़्यादातर होता है। महिलाओं और पुरुषों में इसका खतरा समान रहता है और अधिकांश विकासशील देशों में यह आम है।
अप्लास्टिक एनीमिया दो प्रकार के होते है जिनमे पहला एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया और दूसरा इन्हेरिटेड अप्लास्टिक एनीमिया है।

गंभीर बीमारी पर मामूली दवाइयाँ हुई कारगर साबितः ब्लड ट्रासफ़्यूजन के लिए जब इस बच्चे का केस दिनेश जय सिंह के पास आया तो उन्होंने परिजनों से संपर्क कर बच्चे का इलाज स्वयं के अनुसार करना आरंभ किया। डॉक्टरों की महेंगी दवाइयों को रोक दिनेश जय सिंह ने बच्चे को आयुर्वेदिक दवाइयाँ देनी शुरू करवाई।
ख़ाने पीने में जरा सी बदलाव और आयुर्वेदिक दवाइयों की नियमित सेवन से आज आदित्य बिलकुल स्वस्थ है और अप्लास्टिक एनीमिया से भी कोसो दूर है।
आदित्य के साथ के सभी बच्चे जो अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज अस्पताल में करवा रहे थे, दुर्भाग्य से अब वो बच्चे इस दुनिया में नहीं रहे। दिनेश जय सिंह के इलाज के अन्तर्गत आया एक मात्र ये बच्चा आदित्य आज अप्लास्टिक एनीमिया पे जीत हासिल कर पूरी तरह सुरक्षित है।

वर्तमान में दिनेश जय सिंह अप्लास्टिक एनीमिया के और भी मरीज़ों का इलाज अपने अनुसार कर रहें हैं। इनके इलाज से ना सिर्फ़ अप्लास्टिक एनीमिया के मरीज़ बल्कि और भी दुर्लभ एवं गंभीर बीमारियों से भी जूझते मरीज़ों को स्वस्थ कर उनके जीवन को मिस्टर इंडिया ने रौशन किया है।

कौन हैं मिस्टर इंडियाः सामाजिक कार्यकर्ता हैं दिनेश जय सिंह जिन्हें लोग मिस्टर इंडिया नाम भी जानते हैं। लोग इन्हें मिस्टर इंडिया नाम से इसलिए पुकारते हैं क्योंकि ये बिना सामने आये लोगों की सहायता करते है और अपने अनुभव एवं अनुसंधान से ये मरीज़ों का इजाज़ करते हैं। बचपन से पिता को देख उनसे ली गई सीख द्वारा आज कई एक ज़िंदगियाँ संवार चुके हैं दिनेश जय सिंह अपनी इस हुनर को पिता से ली गई सीख बताते हैं।

क्या है दिनेश जय सिंह की फ़ीस और कैसे कर सकते हैं आप इनसे संपर्कः आपको बता दें जहाँ ऐसी गंभीर बीमारियों का इलाज डॉक्टर अच्छी ख़ासी रक़म लेकर करते हैं वहीं दिनेश जय सिंह यानी की मिस्टर इंडिया ऐसी बीमारियों के लिए मरीज़ों की मुस्कान को अपनी फ़ीस के बतौर लेते हैं।
मिस्टर इंडिया का कहना है की किसी की भी ख़ुशीयों से बढ़कर कोई धन राशि नहीं होती इसलिए वो बदले में सामने वाले को हमेशा मुस्कुराता हुआ देखना चाहते हैं।
अतिकिन फ़ाउंडेशन द्वारा +91 11 4995 1515 दिए गए इस नंबर के ज़रिए आप दिनेश जय सिंह यानी की मिस्टर इंडिया से संपर्क कर अपनी समस्याओं का निजात पा सकते हैं।

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