मन का हमारे जीवन में बहुत बड़ा भूमिका होता है। इसको नियंत्रित कर पाना बड़ा ही कठिन कार्य है, साथ ही इसकी तीव्रता को मापना पाना बड़ा ही मुश्किल कार्य है। मन के द्वारा ही हम पांचो इंद्रियों को निर्देश देते हैं। मन की शक्ति इतनी प्रबल होती है कि ये अपने एक विचार से हमें सकारात्मक बना देती है, और दूसरे ही पल अपने नकारात्मक विचार से दुर्बल। मन के बारे में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की एक उक्ति प्रचलित है।
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
मत निराश हो यो, तू उठ,ओ मेरे मन के मीत।।
महान कार्यों का संपादन मन द्वारा ही होता है। मन को समझने और इस पर संपादन करने का “माइंड सेक्रेट “पर विस्तार से बता रहे हैं, प्रोफेसर आर. के. बेहरा जो प्राध्यापक है आई.आई.टी पटना में।
प्रोफेसर आर.के. बेहरा, इलेक्ट्रिकल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है, तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विषयों के शोध तथा लेक्चर, कॉन्फ्रेंस आदि के माध्यम से अपनी उच्चतम विचार लोगों के आगे प्रस्तुत करते रहते हैं।
हिंद चक्र के संपादक अवधेश झा ने उनसे “माइंड सीक्रेट” पर विशेष बातचीत किया है तथा जिसका संपादन किया शांभवी पोद्दार। प्रस्तुत है बातचीत “माइंड सीक्रेट” के साक्षात्कार प्रतिरूप।
हिंद चक्र : “माइंड सीक्रेट” क्या है तथा इसे अपने जीवन में कैसे समझा जा सकता है?
प्रो. आर.के. बेहरा : आज “माइंड सीक्रेट” पर बहुत सारे साइंटिस्ट काम कर रहे हैं, लेकिन इसकी सीमा को निश्चित कर पाना बड़ा ही मुश्किल है क्योंकि सबके दिमाग के काम करने का तरीका अलग होता है। जैसे एक साइकोलॉजिस्ट अलग तरीके से सोचता है, वही एक इंजीनियर, बायोलॉजिस्ट और राइटर अलग तरीके से सोचता है इसीलिए मस्तिष्क का एककीकृत होना संभव नहीं है।
हिंद चक्र: हमारे मन में एक साथ कई विचार आते है तो हमारा मन उसमें से एक विचार को कैसे चुनता है?
प्रो. आर.के. बेहरा : हमारा मस्तिष्क कई चरणों में कार्य करता है, मन के कार्य का पहला चरण इंटेलिजेंस है, जो हमें निर्णय लेने में मदद करता है। निर्णय लेने की शक्ति हमें इंद्रियों के माध्यम से मिलती है। जिसे देखकर, महसूस करके, सुनकर और स्वाद के द्वारा पता चलता है। हमारे जीवन का सभी कार्य इंटेलिजेंस के माध्यम से ही होता है।
हिंद चक्र : मन को कैसे मित्र और शत्रु दोनों की संज्ञा दी गई है ?
प्रो. आर.के. बेहरा : गीता में श्लोक के माध्यम से इस बात को बड़ी अच्छी तरह से बताया गया है। मैं इसे उदाहरण के माध्यम से बताऊँगा। एक चाकू जिसे काटने के काम मेें लाया जाता है। वह चाकू जब एक डॉक्टर के हाथ में होता है तो एक रोगी की जान बच जाती है और अगर वही चाकू अगर खूनी के हाथ लग जाए तो वो चाकू का दुरुपयोग या नकारात्मक कार्य में करेगा। इसी तरह सकारात्मक मन मित्र की भूमिका निभाता है, वही जब मन नकारात्मक कार्य में लग जाता है तो शत्रु बन बैठता है।
हिंद चक्र : हमारा मन बड़ी ही तीव्रता से काम करता है इसीलिए उसको वश में करना बड़ा ही मुश्किल है। इस तरह से कई बार स्थिति अनियंत्रित हो जाती है तो मन को किस प्रकार से नियंत्रित किया जा सकता है?
प्रो. आर.के. बेहरा : मन के वश में नहीं रहने से डिटरमिनेशन और विश्वास कम हो जाता है जिससे हमारा मनोबल कमजोर हो जाता है। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हमारी स्मृतियों की है, जो हमें कोई साथ नहीं देती। जैसे यदि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को तमाचा लगाता है तो 5 साल बाद भी उसे यह घटना याद रहती है, कि उस व्यक्ति ने मुझे तमाचा लगाया था क्योंकि उस व्यक्ति की शरीरिक पीड़ा स्मृति के द्वारा मानसिक पीड़ा में बदल जाती है।
हिंद चक्र: आप आई.आई.टी पटना में प्राध्यापक हैं कैसा अनुभव रहा?
प्रो. आर.के. बेहरा : मैं उड़ीसा से हूं, मैं जब छोटा था तो मुझे आसपास की स्थिति को देखकर यह महसूस होता था कि इस समाज को परिवर्तन की आवश्यकता है और किस तरह की आवश्यकता है इसको मैं जब आईआईटी कानपुर में पढ़ाई कर रहा था तब इस्कॉन के माध्यम से जाना। नशा मुक्त समाज और सदाचार जीवन को अपनाना तथा ईश्वर पर पूर्ण विश्वास हमारे जीवन का परम लक्ष्य है और यही हम दूसरों को भी प्रेरित करते हैं।
आईआईटी पटना में मेरा अच्छा अनुभव रहा है मैंने कई तरह के अनुसंधान किया है तथा अनुसंधान कार्य के लिए कई देश की यात्रा भी किया है।
हिंद चक्र : मन है क्या?
प्रो. आर.के. बेहरा : गीता में भगवान श्रीकृष्ण से अर्जुन ने मन के संबंध में प्रश्न किया कि प्रभु यह मन तो बड़ा चंचल है, इसे वश में करना तो वायु को वश में करने के जितना कठिन है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा कि वास्तव में मन को वश में किया जाना तो अत्यंत दुष्कर कार्य है, परंतु अभ्यास व वैराग्य से इसे वश में किया जाना जा सकता है। इस तरह से अभ्यास और वैराग्य से इस मन को वश में किया जा सकता है। मन ही जीव का बंधन और कारक भी है और यही जीव का उद्धारक भी है। मन में अपार शक्तियां निहित हैं।
हिंद चक्र: मन के द्वारा कार्य कैसे होता है?
प्रो. आर.के. बेहरा : मन ,”स्टोरेज ऑफ थॉट्स” है जो हजार में से एक सूचना को चुनता है, जिसमें 85 बिलियंस न्यूरो सेल एक सेकंड में काम करते हैं। यह सकारात्मक विचार से उच्चतम तीव्रता में काम करता है, वही नकारात्मक विचार से न्यूनतम तीव्रता में कार्य करता है। यह शरीर, दिल की धड़कन ,मस्तिष्क सभी को एक साथ व्यवस्थित करने का काम करता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो इंद्रियों से मन पर मन से बुद्धि पर और बुद्धि से आत्मा को जोड़ा जा सकता है।
हिन्द चक्र: आज के युवा अपने मन को कैसे नियंत्रित रखें?
प्रो. आर.के. बेहरा : युवा अवस्था में ऊर्जा अपने चरम पर होती है ,अगर इस वक्त डिसिप्लिन सीख लिया जाए तो पूरा जीवन व्यवस्थित हो जाता है। मन और जीवन को सोच से, जिम्मेदारी से, प्रेरणा और ज्ञान के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
हिंद चक्र: आप हिंद चक्र के पाठकों को क्या संदेश देना चाहते हैं।
प्रो. आर.के. बेहरा : मैं हिंद चक्र के पाठको को यही संदेश देना चाहता हूं कि अपने कार्यों को सुचारू रूप से करते रहे। आपके कर्म से आपके भाग्य का निर्माण होता है। ईश्वरोंमुख व सदाचार पूर्ण कार्य से आपका जीवन सफल व आदर्शवादी होता है। हरे कृष्ण