नवंबर की सर्द शाम,
शाल तो वो ओढ़े होंगे।
आधी चाय पी कर,
आधी… छोड़ें होंगे।।
मैं उनकी यादों में,
खोई हूं जैसे सुबह शाम,
क्या वो भी,
इस तरह से खोए होंगे।
इतनी फुर्सत नहीं उन्हें,
वो मुझे याद करें;
पर इतना तो है कि मैं उनके,
वो मेरे ख्यालों में खोए होंगे।
- साधना झा