बिहार के मुख्यमंत्री अपने को पीएम कैंडिडेट नहीं मानने के बावजूद भी केन्द्र सरकार के खिलाफ महागठवंधन को एकजुट करने में लगे हैं

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  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना: 08 सितम्बर 2022 :: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केन्द्र सरकार के खिलाफ महागठबंधन (विपक्षी दलों) को एकजुट करने की मुहिम में निकल चुके हैं। इस क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एचडी देवगौड़ा के पुत्र कुमार स्वामी, आप मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, ओम प्रकाश चौटाला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और नेता मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर चुके हैं।

यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केन्द्र सरकार के खिलाफ महागठबंधन की एकजुटता की जगह बिहार में बेरोजगारी कम करने, महंगाई नियंत्रित करने, भ्रष्टाचार रोकने, शराबबंदी सफल करने, रिश्वतखोरी एवं अपराध के विरुद्ध काम करते तो बिहार से भाजपा स्वतः साफ हो जाती। जबकि इन्हें प्रधानमंत्री नही बनना है, ऐसा उन्होंने स्वयं कहा है और इनकी पार्टी अध्यक्ष ने भी कहा है कि “नीतीश कुमार पी एम कैंडिडेट नही है”। फिर भी केन्द्र सरकार के खिलाफ एकजुटता के लिए निकल चुके हैं, लेकिन बिहार में जर्जर सड़के, अंधेरी गालियां और जलजमाव से जूझते लोगों की चिंता, 266 रूपये की यूरिया 400 में बिकने की चिंता, राज्य में हो रहे फौजी की हत्या, अस्पताल में बच्चे को बदलने की घटना, दुकानदारों को बंधक बनाकर लूटपाट की घटना, राह चलती युवती से छेड़खानी होना, बदमाशों द्वारा फायरिंग करना, बेरोजगार सड़को पर रोजगार के लिए धरना प्रदर्शन करते हैं उनकी की समस्या, अस्पताल की गिरती स्तर का निदान करने पर ध्यान नहीं है।

बिहार में सीबीआई और ईडी की करवाई से कहीं भयभीत तो नही है मुख्यमंत्री? क्यों की देश के वैसे दलों से मिल रहे हैं जो किसी न किसी तरह के जंजाल में फंसे हैं। अब देखा जाय तो कांग्रेस के राहुल गांधी केन्द्र सरकार को महंगाई और बेरोजगारी पर घेर रही है, तो क्या कांग्रेस के शासनकाल में देश इन दोनों से मुक्त था? या बिहार में नीतीश शासन में राज्य इन दोनों से मुक्त है?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जब प्रधानमंत्री नही बनना है, तो एकजुटता की आभियान को छोड़ कर, राज्य से बेरोजगारी को दूर करने का उपाय सोचना चाहिए, राज्य में हो रहे तरह तरह के क्राइम से मुक्ति का उपाय करना चाहिए, बिहार में नए नए फैक्ट्री लगाने पर विचार करना चाहिए।

मुझे लगता है कि बिहार सरकार यदि मैरीन ड्राइव बनवाने और अत्यधिक ओवर ब्रिज बनवाने, की जगह, फैक्ट्री आदि लगाने की करवाई करती तो राज्य से बेरोजगारी घटती और बेरोजगारी घटती तो क्राइम भी कमता। लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री कैंडिडेट नही होने के बावजूद एकजुटता में लगे हैं, उससे ऐसा लगता है कि, सीबीआई और ईडी से कहीं मुख्यमंत्री भी भयभीत तो नही हैं और इसलिए केन्द्र सरकार को पदस्थ कर अपने को सुरक्षित करना चाहते हैं।

मै तो चाहता हूं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार से बेरोजगारी को कम करे, महंगाई को नियंत्रित करे, राज्य में बढ़ रही तरह तरह की अपराध पर रोक लगाने की ओर ध्यान दे। ऐसा करने पर आने वाले समय में भी मुख्यमंत्री के लिए वे सुरक्षित रहेंगे।

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