दिल्ली: 11 अगस्त 2022 :: आज GeM का जो विस्तार हुआ है वह अकल्पनीय है, GeM पर करीब 62000 सरकारी खरीदार उपलब्ध हैं और लगभग 49 लाख विक्रेता पंजीकृत हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM)पोर्टल पर सहकारिताओं की ऑनबोर्डिंग को ई-लॉन्च किया। भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) और जेम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय सहकारिता एवं उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास राज्य मंत्री बी एल वर्मा और एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने सम्बोधन में अमित शाह ने कहा कि आज का दिन भारत के इतिहास का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन है। 1942 में 9 अगस्त को ही गांधी जी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरु किया था और आज़ादी के अमृत महोत्सव में 9 अगस्त के दिन ही आज एक और महत्वपूर्ण काम हो रहा है जिसमें देशभर की सभी सहकारी समितियों के लिए जेम के दरवाजे खुल गए हैं। उन्होने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र के विस्तार के लिए GeM पोर्टल एक बहुत उपयोगी प्लेटफार्म सिद्ध होगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार की अधिकतर इकाइयां जेम के माध्यम से ही ख़रीदारी करती हैं इसलिए सहकारी समितियों को अपना बाज़ार बढ़ाने के लिए जेम पर आपूर्ति के लिए पंजीकरण की भी तैयारी शुरु करनी चाहिए। उन्होने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ से भी सहकारी समितियों की मार्केटिंग बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि इसके लिए जेम से अच्छा और कोई रास्ता नहीं हो सकता।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से इस क्षेत्र को नजरंदाज किया गया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ऐतिहासिक सुधारों व आधुनिकीकरण के साथ इसके विस्तार को गति दे रहे हैं। मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने एक्सपेंशन के लिए ढेर सारे उपाय किए हैं और पिछले एक साल में मंत्रालय 25 से 30 इनीशिएटिव पर लगातार समांतर रूप से काम कर रहा है। उन्होने कहा कि पैक्स से लेकर अपैक्स तक एक हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ सहकारिता नीति भी बनाई जा रही है। सरकार को सहकारिता का विस्तार करना है लेकिन इसका कोई डेटाबेस ही नहीं है, इसलिए मंत्रालय सभी प्रकार की सहकारी समितियों का एक राष्ट्रस्तर का डेटाबेस भी बना रहा है। यूनिवर्सिटी की स्थापना का काम भी आगे बढ़ा है, इससे नए प्रोफेशनल तैयार होंगे। इस यूनिवर्सिटी में सहकारिता क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और नए कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी उपलब्ध होगी। श्री शाह ने कहा कि एक एक्सपोर्ट हाउस भी रजिस्टर किया जा रहा है जो दिसंबर तक हो पूरा जाएगा। यह देशभर के कोऑपरेटिव को एक्सपोर्ट करने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव एक्ट में भी आमूलचूल परिवर्तन किए जा रहे हैं और मोदी सरकार ने सारे पैक्स को कंप्यूटराइज करने का निर्णय भी लिया है।
अमित शाह ने कहा कि अर्थतन्त्र में जनसंख्या की बहुत बड़ी ताकत होती है क्योंकि अंततोगत्वा आबादी मार्केट भी होती है। 2014 तक देश की आबादी 130 करोड़ थी लेकिन मार्केट सिर्फ 60 करोड़ का था क्योंकि बाकी लोगों की खरीदने की शक्ति ही नहीं थी। देश के 60 करोड लोगों का पूरा दिन दो वक्त के खाने और अन्य रोज़मर्रा की चीजों का इंतजाम करने की चिंता में ही बीत जाता था और उनकी कई पीढ़ियाँ इसी सोच में चली गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गरीबों के बैंक अकाउंट, गैस सिलेंडर, शौचालय, बिजली, शुद्ध पीने का पानी और मुफ्त अनाज देकर उनकी प्राथमिक जरूरतों को पूरा कर इन 60 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को जीवित किया है और सहकारिता में ही इन सभी आकांक्षाओं को पूरा करने की संभावनाएं है। आज प्राथमिक जरूरत पूरी होने के बाद इन लोगों के मन में और पैसा कमा कर जीवन में आगे बढने की महत्वाकांक्षा है और कोऑपरेटिव के माध्यम से वे अपनी इस महत्वाकांक्षा को पूरा कर सकते हैं। उन्होने कहा कि देश के 60 करोड़ लोगों के पास अगर पाँच पाँच हज़ार रूपये भी हैं तो वे बड़े से बड़ा कोऑपरेटिव चला सकते हैं। अमूल का उदाहरण देते हुए श्री शाह ने कहा कि आज 20 लाख बहने 60 हजार करोड के टर्नओवर को पार करने वाली कोऑपरेटिव को कई सालों से न केवल सफलता से चला रही हैं बल्कि मुनाफा भी कमा रही हैं।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता का मॉडल ही एक ऐसा मॉडल है जिसमें कम पूंजी के साथ भी लोग एक साथ आकर बड़े से बड़े काम को सरलता से कर सकते हैं। उन्होने कहा कि पहले कोऑपरेटिव मॉडल में अधिक संभावनाएं नहीं थी परंतु श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसमें 60 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को जीवित किया है। उन्होने कहा कि कोई भी व्यवस्था समय के साथ खुद को नहीं बदलती तो वह कालबाह्य हो जाती है,सहकारिता क्षेत्र के विस्तार के लिए इसमें सुधार करना आवश्यक है। हमारे देश में कोऑपरेटिव की व्यवस्था 115 साल पुरानी है, कानून भी बहुत पुराने हैं, बीच-बीच में थोड़े बहुत परिवर्तन हुए परंतु समय के हिसाब से आमूलचूल परिवर्तन और आधुनिकरण नहीं हुआ।
श्री शाह ने कहा कि अब सहकारिता क्षेत्र के साथ कोई दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं कर सकता परंतु हमें भी बदलाव की शुरुआत करनी पड़ेगी,पारदर्शिता की दिशा में आगे जाना होगा और अपने आप को तैयार करना पड़ेगा। सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए GeM पोर्टल बहुत उपयोगी साबित होगा और जब पारदर्शिता होगी तभी किसानों व दुग्ध उत्पादकों का भरोसा भी समितियों और उनके सदस्यों पर बढेगा। उन्होने कहा कि GeM पोर्टल लाकर मोदी जी ने सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने का काम किया है,एक नई व्यवस्था है, शुरुआत में कुछ प्रशासकीय समस्याएं आ सकती है लेकिन इसके इरादे पर किसी को शंका नहीं होनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि सहकारिता में चुनाव, भर्ती और ख़रीदारी इन तीन क्षेत्रों में पारदर्शिता लाना भी बहुत जरूरी है। ख़रीदारी में पारदर्शिता लाने के लिए जेम से अच्छा और कोई माध्यम नहीं हो सकता। सहकारिता मंत्री ने कहा कि उन्हे विश्वास है कि 5 वर्षों में पारदर्शिता से सरकारी खरीद का यह सफल मॉडल पूरी दुनिया देखेगी।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में अब तक जेम की यात्रा चली है उसके भविष्य को लेकर वे बहुत आशान्वित हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर में जोड़ी जाने वाली समितियों में 589 राज्य सरकार की थी और आज तक उनमें से 289 समितियां जुड़ चुकी है, साथ ही 54 मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव में से 45 जुड़ चुके हैं ,यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि आज जेम का जो विस्तार हुआ है वह अकल्पनीय है, जेम पर करीब 62000 सरकारी खरीदार उपलब्ध हैं और लगभग 49 लाख विक्रेता पंजीकृत हैं। साथ ही लगभग 10,000 से ज्यादा उत्पाद और 288 से ज्यादा सर्विसेज सूचीबद्ध हो चुकी हैं। अब तक 2 लाख 78 हजार करोड़ रुपये का व्यापार भी पूरा हो चुका है जोकि जेम की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। श्री शाह ने कहा कि आज हमारे देश के लिए एक पवित्र दिन है, आज ही के दिन भारत छोड़ो आंदोलन हुआ था, 6 साल पहले आज ही के दिन जेम की शुरुआत हुई और आज जेम पर सहकारिताओं की ऑनबोर्डिंग शुरू हुई है। इसके लिए सहकारिता से जुड़े सभी लोगों,जेम की पूरी टीम और सभी 8 लाख सहकारी समितियों और विशेषकर श्री पीयूष गोयल जी को बहुत बहुत बधाई।