- जितेन्द्र कुमार सिन्हा
पटना, 26 जुलाई 2022 :: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मंकीपॉक्स को “ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी” घोषित करने के बाद, भारत में अलर्ट जारी किया गया है। भारत में अब तक मंकीपॉक्स वायरस के जितने मामले आए हैं, वह हैरान करने वाली है, कि दिल्ली में जिस व्यक्ति में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है, उसका कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।
मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है, यह वायरस अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, समेत दुनिया के 75 देशों में बड़ी तेजी से फैला है। मौजूदा आकड़ों के अनुसार दुनिया भर में मंकीपॉक्स के 16 हजार से अधिक मामले हैं, जिसमें भारत भी शामिल है।
सूत्रों के अनुसार समलैंगिकता से यह बीमारी अधिक तेजी से फैलते हुए देखा जा रहा है। इसको देखते हुए कई स्वास्थ्य एजेंसियों ने समलैंगिक पुरुषों को सचेत भी किया है। देखा जाए तो मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्स वायरस संक्रमण है, जो चेचक (चिकन पॉक्स) के समान दिखता है। बताया जाता है कि यह बीमारी सबसे पहले वर्ष 1958 में बंदरों में दिखाई दी थी। बंदरों में दिखाई देने के कारण इसका नाम “मंकीपॉक्स” रखा गया है। मंकीपॉक्स का सबसे पहला मामला वर्ष 1970 में एक युवा में देखा गया था।
बिहार के सर्विलांस अफसर डॉ रणजीत कुमार के अनुसार, राज्य में अभी तक मंकीपॉक्स के संक्रमण का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद देश में फैलते संक्रमण को देखते हुए सभी जिलों को इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किया गया है। सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को निदेश दिया गया है कि वह आशा और एएनएम को इस बीमारी के बारे में जानकारी दें।
मंकीपॉक्स के लक्षण भी आम लक्षणों की तरह है शुरु में बुखार, जुकाम, सिर दर्द, बदन दर्द, सूजन, कमर दर्द, शरीर की मांसपेशियों में दर्द शामिल रहता है। लेकिन मुख्य रूप से इस बीमारी में शरीर पर लाल-लाल दाने (रेसेस) होते है। ज्यादातर यह दाने हथेलियों और पैरों के तलवों पर होते है। मंकीपॉक्स के रोगियों में यह देखा जा रहा है कि संक्रमण अपने आप 14 से 21 दिन में खत्म हो जाता है।
भारत में अब तक 3 मामलों में मंकीपॉक्स का वायरस सेक्सुअल इंटरकोर्स के जरिए पहुंचा है। इनमें से 2 मामले केरल में और एक मामले दिल्ली के है।
मंकीपॉक्स का वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से, त्वचा पर किसी कटे या आंख नाक या मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमण सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति, संक्रमित जानवर बंदर, चूहा, गिलहरी आदि से भी फैलता है।
मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित लोगों में संक्रमण घातक दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इस संक्रमण से हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है। छोटे बच्चों में और मरीज के स्वास्थ्य और उसकी जटिलताओं पर भी यह निर्भर करता है कि संक्रमण की गंभीरता कितनी है। ऐसे देखा जा रहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों में 2 से 4 हफ्ते बाद लक्षण धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। यह संक्रमण 40 से 50 साल से कम उम्र के लोगों में ज्यादा फैल रहा है।
भारत में केन्द्र सरकार अलर्ट है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को अंतरराष्ट्रीय यात्री की स्क्रीनिंग करने का निर्देश दिया गया है, ताकि मंकीपॉक्स के फैलने के खतरे को कम किया जा सके।