आरसीपी सिंह को छोड़कर बिहार में नए सियासी समीकरण बनाने में जुटे ललन सिंह

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  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना, 25 जुलाई 2022 :: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह पार्टी के नेताओं और विधायकों के साथ शनिवार को बैठक कर जदयू के विस्तार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उनका कहना है कि पार्टी सब के सुझाव और राय-मशविरा से चलती है। इसके लिए पार्टी के अध्यक्ष भी सभी से वार्ता करके ही कोई भी निर्णय लेते हैं।
जब की दूसरी तरफ जदयू के समर्पित व्यक्ति को आरसीपी सिंह के सहयोगी के नाम पर पार्टी से निकाल रहे है। उक्त बातें पूर्व कलमजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ प्रभात चंद्रा ने बताई।

उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष हमेशा अनुभवी होते है, उनका सहयोग लेना चाहिए। यदि सहयोग न भी लें तो कम से कम प्रतिशोध की भावना नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से इसका बुरा प्रभाव पार्टी पर पड़ता है और पार्टी अंदर से कमजोर होता है।

डा चंद्रा ने कहा कि जदयू की अचानक हुई इस बैठक को लेकर कई प्रकार की राजनीतिक कयासबाजी लगाई जा रही थी। कहा जा रहा था कि राज्य में एनडीए घटक दलों के बीच लगातार हो रही कटाक्षपूर्ण बयानबाजी से जुड़े मुद्दों पर वार्ता के लिए जदयू के सभी वरीय नेता मिल रहे हैं। लेकिन ललन सिंह ने इन तमाम कयासबाजियों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि यह मुलाकात सिर्फ जदयू के संगठन विस्तार को लेकर है। अध्यक्ष की इस वक्तव्य से यह स्पष्ट हो रहा है की पार्टी में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है।

उन्होंने कहा कि आज पार्टी की नीति और कार्यक्रम क्या है? वरिष्ठ कार्यकर्ता तो लोहिया, जयप्रकाश और गाँधी की सिद्धांतों की बात कहकर अपने को और सामने वाले को संतुष्ट कर लेता है लेकिन सामान्य कार्यकर्ता मूकदर्शक बने रह जाते है। जनता से जुड़ने, सरकार की नीतियों, पार्टियों की गतिविधियों की जानकारी सर्वमान्य नेता द्वारा नहीं दिया जा रहा है। दुःखद बात तो यह है कि पार्टी के कर्णधार इन बातों को जमीनी स्तर पर नजर अंदाज करते है, जिसका खामियाजा पार्टी, कार्यकर्ता और पार्टी के सर्वमान्य नेता को भुगतना पड़ रहा है।

डा चंद्रा ने कहा कि पार्टी में आजकल नेताओं का कोलाहल कुछ ज्यादा बढ़ गया है।जिसका सीधा कुप्रभाव पार्टी और सर्वमान्य नेताओं पर पड़ रहा है। आज पार्टी के अध्यक्ष को और उनके इतिहास को कौन नहीं जानता है। आज पार्टी के बागडोर वही संभाले हुए है। अब प्रश्न यह उठता है कि पार्टी की क्रियाकलाप क्या अंधकार की ओर उन्मुख है? कुछ नेताओं की बड़बोलापन कहाँ तक सार्थक सिद्ध होगा? पार्टी जाति से नही जमात से होती है। आज पार्टी कितना बेबस और लाचार दिख रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने तो यहाँ तक कह दिया है कि प्रदेश युवा जदयू के सूची में सामाजिक संतुलन, साम्प्रदायिक संतुलन और क्षेत्रीय संतुलन का पूर्ण अभाव है और अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

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