‘उड़ान’ से दरभंगा एयरपोर्ट छुआ नया आसमान

Regional

  • परिमल कुमार

एक कहावत है कि ‘दिल्ली अभी दूर है’। लेकिन अब यह बात बिहार के दरभंगा क्षेत्र के लोगों के लिये बेमानी हो गई है। अब केवल दिल्ली ही नहीं, देश के कई बड़े शहरों से दरभंगा की दूरी तय करने की अवधि अब बहुत घट गई है। कभी 24 से 48 घंटों में तय किया जाने वाला सफर अब मिनटों या चंद घंटों में मुमकिन है। इसे संभव बनाया है नागरिक उड्डयन मंत्रालय की देश के सूदूर क्षेत्रों में हवाई संपर्क को बढ़ाने वाली क्षेत्रीय संपर्क योजना (उड़े देश का आम नागरिक) यानी आरसीएस उड़ान स्कीम ने। उड़ान योजना ने देश के छोटे-छोटे शहरों से बड़े शहरों को नजदीक ला दिया है। दरभंगा एयरपोर्ट इसके सफलतम उदाहरणों में से है।
पहले राज्यों में औसतन दो से तीन एयरपोर्ट होते थे और अपने प्रदेश में हवाई उड़ान के ज़रिए पहुंचने के बाद भी परिवार तक पहुंचने में थकान होती थी। दरभंगा क्षेत्र के लोगों को सुदूर पटना या बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरना पड़ता था, लेकिन दरभंगा एयरपोर्ट की शुरुआत के बाद तस्वीर तेजी से बदली है। पिछले साल कोरोना के बावजूद दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई यात्रा करने वालों की संख्या इतनी अधिक रही कि कई राज्यों की राजधानी में स्थित हवाई अड्डों को इसने कम ही वक्त में न केवल टक्कर दे दी, बल्कि पछाड़ भी दिया। यहां से आने – जाने वाले औसत यात्रियों की संख्या रायपुर और भुवनेश्वर एयरपोर्ट जैसे बड़े हवाई अड्डों से भी आगे निकल चुकी है। 8 नवंबर 2020 को उड़ान स्कीम के तहत आरंभ हुए दरभंगा एयरपोर्ट पर अब तक 7 लाख से ज़्यादा यात्रियों ने आवाजाही की है।
दरभंगा एयरपोर्ट ने सिर्फ मिथिलांचल के लोगों का सफर ही आसान नहीं बनाया है बल्कि सीमांचल के लोगों तक भी इसका लाभ पहुंच रहा है। नेपाल के लोग और पर्यटक भी इसका फायदा ले रहे हैं जिन्हें दरभंगा एयरपोर्ट तक हवाई उड़ान के बाद नेपाल तक पहुंचने में आसानी होने लगी है। यानी ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (UDAN) देश ही नहीं, पड़ोसी देशों के लिए भी सुकून भरे सफर की इबारत लिख रही है।
दरभंगा एयरपोर्ट से फिलहाल दो विमानन कंपनियां स्पाइस जेट और इंडिगो अपनी कुल 14 उड़ानों के माध्यम से सेवाएं दे रही हैं। स्पाइस जेट दरभंगा को दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु से जोड़ रही है तो इंडिगो कोलकाता और हैदराबाद को। इन उड़ानों का लाभ मिथिलांचल सहित बिहार के 17 जिलों के लोगों तक पहुंच रहा है। लेकिन यहां से हवाई यात्राओं का ग्रॉफ जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए जल्द ही उड़ानों की संख्या बढ़ जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
उड़ान के तहत दरभंगा एयरपोर्ट के सफलता का आसमान छूने के कई कारण हैं जैसे सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक और हेल्थ टूरिज्म। शैक्षिक, सांस्कृतिक और कला की दृष्टि से मिथिला प्राचीन काल से समृद्ध रहा है। यहां पठन-पाठन वालों की संख्या अच्छी खासी रही है। इसीलिये यहां से निकले लोग आज अच्छी खासी संख्या में डॉक्टर, इंजीनियर, और नौकरशाह बनकर या व्यापार-व्यवसाय के लिये देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में रह रहे हैं। इस वर्ग के पास पैसा हो सकता है पर छुट्टी बिताने के लिये ज्यादा वक्त नहीं होता। लेकिन दरभंगा तक हवाई सेवा शुरु होने के बाद यह लोग दो दिन की छुट्टी में भी अपनों के बीच आसानी से पहुंचने लगे हैं। होली, दीपावली, छठ जैसे बड़े त्योहारों के दौरान इस क्षेत्र में आने वालों की तादाद ज़्यादा होती ही है, लेकिन पिछले साल यहां रक्षाबंधन के मौके पर हवाई यात्रियों की संख्या को देखते हुए विशेष विमान सेवा भी चलाई गई।
राष्ट्रीय राजमार्गों में सुधार और प्रगति ने भी हाइवे के पास स्थित दरभंगा एयरपोर्ट तक पहुंच को आसान कर दिया है। कोसी पुल ने सहरसा, पूर्णिया जैसे शहरों की दूरी दरभंगा एयरपोर्ट से कम कर दी है। पहले पटना के जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद गांधी सेतु के लंबे जाम से दो-चार होना पड़ता था या ट्रेन में कन्फर्म टिकट के लिए महीनों पहले बुकिंग कराने का तनाव रहता था लेकिन उड़ान स्कीम ने लंबे वक्त पहले प्लानिंग की झंझट खत्म कर दी है। एसी ट्रेन यात्रा के आसपास की कीमत पर हवाई यात्रा और साथ ही तुरंत कन्फर्म्ड टिकट मिलने की सुविधा ने भी छोटे शहरों के आम आदमी को हवाई यात्रा के लिये प्रेरित किया है।
दरभंगा एयरपोर्ट की सफलता का एक कारण मेडिकल टूरिज्म भी है। यहां दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल है जहां बिहार के दूर दराज के क्षेत्रों ही नहीं, बल्कि नेपाल तक से लोग इलाज कराने के लिए आते हैं। यहां से मरीज के किसी बड़े शहर में रेफर होने पर उड़ान स्कीम मददगार संकटमोचक साबित हो रही है। दरभंगा एयरपोर्ट ने मिथिला की मधुबनी पेंटिंग, मखाना, आम और लीची के व्यवसाय को लोकल से ग्लोबल बनाने और कारोबारियों को संपर्क बढ़ाने का नया अवसर भी दिया है। इससे इनके कारोबार के विस्तार के नए अवसर और उम्मीद बढ़ी है।
कुल मिलाकर वाजिब मूल्य में हवाई यात्रा का आनंद, समय की बचत, व्यापार के विस्तार, आपदा में तुरंत इलाज और सुख-दुख में समय पर अपनों के बीच पहुंचने की सहूलियत देकर उड़ान योजना हवाई चप्पल पहनने वाले देश के आम नागरिक को हवाई यात्रा के अवसर दे रही है। साथ ही अपने ध्येय वाक्य ‘सब उड़ें, सब जुड़ें’ को चरितार्थ कर रही है। वक्त बदल रहा है। मुश्किल राह आसान हो रही है और आरसीएस उड़ान स्कीम संभावनाओं के अपार दरवाजे खोल रही है।

(*लेखक – वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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