- प्रस्तुति: शांभवी पोद्दार
शिक्षा ऐसी शक्ति है, जो लोगों को नेतृत्व करने की क्षमता देती है साथ ही वह लोगों के सर्वांगीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक व्यक्ति के पढ़ने से पूरा परिवार उसका लाभ उठाता है। यदि पूरा परिवार शिक्षित हो जाए तो, शिक्षा की शक्ति और अधिक लाभकारी व विकसित हो जाएगी, जिससे समाज व राष्ट्र को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा। जब हम शिक्षा की बात करते हैं तो लोगों को शिक्षित करने में हमारी शिक्षा व्यवस्था का बहुत बड़ा योगदान है। और उससे भी बड़ा योगदान उसको संचालित करने वाले से लेकर हमारे अध्यापक, प्राध्यापक, प्रधानाचार्य, निदेशक व उनके सहयोगी सदस्य आदि का है।
पाठकों, आज हम शिक्षा जगत की ऐसी ही एक हस्ती है डॉ शुभ्रा ठाकुर, जो पिछले 33 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हैं तथा विभिन्न दायित्वों का निर्वहन की हैं। उनसे बातचीत किए हैं हिन्द चक्र प्रतिनिधि शांभवी पोद्दार।
प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।
हिन्द चक्र : डॉ शुभ्रा जी आपकी प्रारंभिक शिक्षा से पी०एच०डी तक की पढ़ाई कहां से हुई?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : मेरी प्रारंभिक शिक्षा रायपुर से हुई है, जिसके बाद मैंने केमिस्ट्री से रायपुर से ही एम.एस.सी. की पढ़ाई की उसके बाद मैंने एम.डी. यूनिवर्सिटी से B.Ed की पढ़ाई की, जिसके बाद मैंने एम.एड. नालंदा खुला विश्वविद्यालय से किया साथ ही मैंने पी.एच.डी. की पढ़ाई श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी से किया जो कि भोपाल से कुछ दूरी पर है।
हिन्द चक्र : आप अपने जीवन की प्रेरणा स्रोत किन्हें मानती हैं?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : मैं अपने जीवन की प्रेरणा स्रोत अपने पिताजी को मानती हूं। मैं आज जो कुछ भी हूं उस में उनकी भूमिका कॉफी अहम है ,क्योंकि पढ़ाई का आधार मुझे मेरे पिताजी से ही मिला है। हम सात भाई -बहन हैं और हम सभी मां के साथ बचपन में रायपुर में रहा करते थे, वही मेरे पिताजी की पोस्टिंग इंफाल हो गई थी, जिसके बाद पिताजी ने हमें चिट्ठियों के माध्यम से हमारी लेखनी में सुधार किया। ये उस वक्त की कारगर तरकीब थी। वह हमें चिट्ठियों में एक विषय पर लिखने के लिए कहते थे जिसके बाद हम एक पन्ने पर लेख लिखते थे और दूसरा पन्ना उस लेख के सुधार के लिए छोड़ देते थे जिसके बाद पिताजी वो चिट्ठी में सुधार कर हमें भेजते थे।दूसरा अपने जीवन की प्रेरणा अपनी मां को मानती हूं, जिन्होंने मुझे जिम्मेदारियों को सही तरह से निर्वहन करना सिखाया।
हिन्द चक्र : आपको अपने जीवन में शक्ति किन बातों से मिलती है?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : मुझे मेरे जीवन की शक्ति अपने विद्यार्थियों से मिलती है, क्योंकि जब वह अपने जीवन में नई ऊंचाई पर पहुँचते है तो मुझे ऐसा लगता है कि, मेरा विद्याथियों के प्रति किया हुआ प्रयास सफल हुआ। आज मुझे पढ़ाते हुए लगभग 35 साल हो चुके हैं और इतने समय बाद भी कई बच्चें मुझसे जुड़े हुए हैं। ये मेरी इच्छा शक्ति को दुगनी कर देता है और साथ ही मुझे आगे के लिए मोटिवेटेड रखता है।
हिन्द चक्र : आपको अध्ययन – अध्यापन के अलावा भी अन्य चीजों का शौख है?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : जी हां, मुझे बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद है। मुझे ऐसा लगता है कि यदि आज मैं शिक्षा क्षेत्र में नहीं होती तो खेल से जुड़ी होती।
हिन्द चक्र : शुभ्रा जी आप अपने व्यस्ततम समय में से कितना वक्त योग और प्राणायाम को देती हैं?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : योग और प्राणायाम के लिए मैं सुबह में 20 मिनट का वक्त रोज निकालती हूं क्योंकि मैं अपने बाकी काम जैसे कुकिंग व डस्टिंग खुद से ही करती हूं तो मुझे खुद के लिए इतना ही वक्त मिल पाता है।
हिन्द चक्र : शुभ्रा जी आपने कहां- कहां काम किया है?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : मैंने अपनी एम.एस.सी. की पढ़ाई पूरी करते ही स्कूल जॉइन कर लिया, जिसके के बाद में कई वर्षों तक डी.पी .एस ( हजारीबाग), ओपजीस, की प्रिंसिपल रही और अभी वर्तमान में मैं बी.एड. कॉलेज की प्रिंसिपल हूं, साथ ही मैं आईआईएम (IIM) (अहमदाबाद) और आई.आई.एम. (कोजीकोर्ट) से ट्रेनिंग ली है, वही मैं मेंटर ऑफ चेंज नीति आयोग से जुड़ी हुई हूं। सी.बी.एस. सी. की रिसोर्स पर्सन हूं।
हिन्द चक्र : आपकी लाइफ में आपको सबसे ज्यादा क्या मोटिवेट करता है?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : मेरी लाइफ के मोटिवेशन मेरे स्टूडेंट्स जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता साथ ही मेरी ये कोशिश रहती है कि मैं उनकी पर्सनालिटी को प्रेजेंटेबल बनाऊं जिसके लिए मैं उन्हें हमेशा गाइड करती हूं। मैं उन्हें बोलती हूं कि आप अपने दिन की शुरुआत मिरर देख कर करें और यह बोले “आई एम द बेस्ट ” अपने कम्युनिकेशन स्किल और अपनी भाषा पर ध्यान दें क्योंकि भाषा चाहे अंग्रेजी हो या हिंदी उसे शुद्ध बोलना और लिखना आना चाहिए। इसके लिए स्टूडेंट्स न्यूज़पेपर जरूर पढ़ें और साथ ही न्यूज़ चैनल जरूर देखें।
हिन्द चक्र : डिजाइन थिंकिंग क्या है ?आप हमारे पाठकों को बताएं।
डॉ शुभ्रा ठाकुर : डिजाइन थिंकिंग समस्या के ब्यौरे और विकसित समाधान के बीच एक संतुलन हासिल करने में मदद करता है। एक डिजाइन उन्मुख मानसिकता समस्या पर केंद्रित नहीं होती है बल्कि समाधान केंद्रित और क्रिया उन्मुख होती है। इसे विश्लेषण और कल्पना दोनों को शामिल करना होता है। डिज़ाइन थिंकिंग डिजाइन की सहायता से समस्याओं को हल करने और समस्याग्रस्त स्थितियों को हल करने का तरीका होती है।
हिन्द चक्र : मां और शिक्षिका होने का फर्ज आपने साथ- साथ कैसे निभाया ?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : वो वक्त मेरे लिए कॉफी कठिन था, जब मेरे बच्चे छोटे थे, मैं अपनी बेटियों को साथ ले के स्कूल जाती थी स्कूल पहुँचने के बाद मैं उन्हें स्टॉफ रूम में बिठाकर क्लास लिया करती थी। इस तरह से मैंने मां और शिक्षिका की भूमिका को एक साथ निभाने का पूरा प्रयास किया।
हिन्द चक्र : आप हमारे हिन्द चक्र के पाठकों को क्या संदेश देना चाहती है?
डॉ शुभ्रा ठाकुर : मैं आपके माध्यम से यही कहना चाहूंगी कि बच्चों के लिए सबसे जरूरी होती है अच्छी पेरेंटिंग का होना। अगर माता- पिता पढ़े- लिखे ना भी हो तो आप अपने बच्चों पर ध्यान दीजिए और उन्हें कभी यह एहसास नहीं होने दीजिए कि आप उतने पढ़े लिखे नहीं हैं क्योंकि ईश्वर ने हम सभी को माता – पिता होने के नाते ये समझ दी है कि, हम ये पता कर सके कि हमारा बच्चा वास्तव में पढ़ रहा है कि नहीं। अच्छी पेरेंटिंग बच्चों के विकास के लिए बहुत जरुरी है क्योंकि बच्चों का विकास होना शिक्षा का सही अर्थ है।