- जितेन्द्र कुमार सिन्हा
पटना, 25 मार्च 2022 :: सामाजिक संगठन दीदीजी फाउडेशन ने राजधानी पटना के फुलझड़ी गार्डन स्थित संस्कारशाला में बिहार दिवस धूमधाम के साथ मनया। उक्त जानकारी देते हुए दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका, ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस बिहार की प्रदेश अध्यक्ष और राजकीय- राष्ट्रीय सम्मान से अंलकृत डा. नम्रता आनंद ने बताया कि बिहार दिवस के अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला के बच्चों ने जल जीवन हरियाली, लोक गीत, राधा-कृष्ण और भगवान शिव पर आधारित गीतों की प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को शिखा स्वरूप और अखौरी योगेश कुमार ने संयुक्त रूप से होस्ट किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मिसेज इंडिया अनुमति सिंह और मिसेज इंडिया संपन्नता वरूण थी। कार्यक्रम की शुरूआत समाजसेविका फुलझड़ी देवी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गयी। इसके बाद दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का आगाज किया गया।
डॉ नम्रता आनंद ने बताया कि कार्यक्रम में आगंतुक अतिथियों को अंगवस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। प्रेम कुमार, संपन्नता वरूण, शिखा स्वरूप ने पार्श्वगायन किया जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया।
उन्होने बताया कि शिखा स्वरूप ने बिहार राज्य प्रार्थना गीत और बटोहिया गीत के जरिये बिहार की संस्कृति को पेश किया। बिहार दिवस 2022 लिखा हुआ केक काटकर बिहार दिवस का जश्न मनाया गया। डा. नम्रता आनंद ने सभी लोगों को बिहार दिवस की शुभकामना देते हुये कहा कि ज्ञान और मोक्ष की धरती कहे जाने वाले बिहार का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। बिहार के इतिहास के बिना भारत का इतिहास अधूरा है। बिहार के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने, उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है, जिससे परंपरा को प्रगति से जोड़ कर इतिहास को आगे ले जाया जा सके।
उन्होंने कहा कि बिहार दिवस को 22 मार्च के दिन मनाने का प्रमुख कारण है कि इसी दिन बिहार राज्य की स्थापना हुई थी। अंग्रेजों ने सन 1912 में इसी दिन बिहार को बंगाल प्रसीडेंसी से अलग कर नए राज्य के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद से ही बिहार दिवस को पारंपरिक रूप से मनाया जाने लगा। बिहार के निर्माता डॉ सचिदानंद सिन्हा को कोटि कोटि नमन। बिहार के सृजन में संविधान सभा के प्रथम कार्यकारी अध्यक्ष रहे डा. सिन्हा का वही स्थान है, जो बंगाल के नवजागरण में राजाराम मोहन राय का था। प्रेसीडेंसी के अधीन बिहार को अलग राज्य के रूप में पहचान दिलाने में बक्सर जिलान्तर्गत मुरार गांव के सपूत डा.सिन्हा की अहम भूमिका रही। 22 मार्च बिहार दिवस पर डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को हम बिहारवासी नमन करते है।
डा. नम्रता आनंद ने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी, धर्मों की उद्गमस्थली, महापुरुषों की जन्मस्थली, वीरों की कर्मभूमि, ज्ञान, कर्म, संस्कृति, सद्भावना और समरसता की पावन भूमि रही है। विदेशों में बसे बिहार के लोग इस दिन को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं, कई देशों में तो इस दिन खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें स्थानीय प्रतिनिधि भी शिरकत करते हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद,उन्होंने इसे प्रमुखता से मनाना शुरू किया और इस दिन सावर्जनिक अवकाश की घोषणा की।
अनुमति सिंह ने कहा कि गौरवशाली अतीत और समृद्ध संस्कृति के लिए विशेष पहचान रखने वाला यह प्रदेश विकास के नित्य नए आयाम गढ़ता रहे।बिहारी प्रतिभा का ही कमाल है कि बिहार जैसे प्रदेश का नाम का डंका पूरी दुनिया में बजता है। ज्ञान की बात हो, शौर्य की बातें हो, व्यापार की बात को या किसी भी क्षेत्र की बात करें तो वहां बिहार के लोग की चर्चा जरूर होती है।
उन्होंने महिला सश्क्तीकरण
पर जोर देते हुये कहा कि आज की महिला किसी पैमाने पर पुरूषों से कम नहीं है। वह घर की चाहरदीवारी से बाहर निकल कर समाज में अपनी सशक्त पहचान बना रही है। यह समय वह नहीं कि हम यह सोंचे कि हम महिला हैं और कुछ नहीं कर सकते हैं। हमने साबित कर दिया है कि यदि हमे अवसर मिलें तो हम क्षेत्र में कामयाबी का डंका बजा सकती हैं।
समाजसेवी मिथिलेश सिंह ने कहा कि बिहार स्थापना दिवस मनाना एक सौभाग्य की बात है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि समाज सेवा के क्षेत्र में दीदीजी फाउंडेशन के नेक कार्य में हम हमेशा उनका साथ दें।
उक्त अवसर पर निरंतरा हर्षा, नियति सौम्या, सूरज कुमार, पवन कुमार ,रोहित, आर्यन कुमार ,अमित, राजा, शुभम, लव कुश रवि लाडो,स्वीटी, श्रुति, बिट्टू, नेहा, चिंकी, प्रिया, मुस्कान, काजल, अंजलि, अंशु, चांदनी, प्रियंका, देवी, कृति, नंदिनी, सुनीता रिमझिम, सिमरन,बिंदिया और रौशन समेत बच्चे ने नृत्य पेश कर समां बांध दिया।