पटना: 28 जनवरी 2022 :: भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की पटना इकाई द्वारा कला विश्व क्षितिज शृंखला के तहत बिहार के पारंपरिक लोकगीतों का शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद पटना की निदेशक ताबिशी बहल पांडे ने किया। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अंतर्यामी रॉय ने कार्यक्रम संपादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सांस्कृतिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार से जुड़े कलाकारों ने कार्यक्रम में बिहार की लोक परंपरा से जुड़े गीतों की प्रस्तुति की। प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना अहो वीणा वादिनी मैया, सातों सुर के तू ही रचैया गीत को पेश किया। फिर उन्होंने विवाह संस्कार से जुड़े गीतों की प्रस्तुति की। मटकोर गीत कहवां के पियर माटी, कहां के कुदार हो को खूब पसंद किया गया। भिखारी ठाकुर रचित गीत चलनी के चालन दुल्हा और हल्दी चढ़ाने का गीत अगे माई हरदी हरदिया दूभ पातर ना को भी शानदार तरीके से उन्होंने पेश किया। महेंद्र मिसिर के लोकप्रिय गीत अंगूरी में डस्ले बिया नगीनिया हो और भिखारी ठाकुर के गीत पियवा गइले कलकतबा ए सजनी को भी फेसबुक श्रोताओं ने पसंद किया। गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने यही थईया टिकुली हेरा गइले दइया रे और झूमर गीत हमारा आम अमरैया बड़ा नीक लागेला के माध्यम से दर्शकों को झूमा दिया। सोहर गीत जुग जुग जिए तू ललनवा भवनवा के भाग जागल हो को भी खूब पसंद किया गया। गीतों के माध्यम से गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने लोगों में विश्वास जगाने का प्रयास किया कि कोविड-19 से जुड़ी परेशानियां जल्द ही समाप्त हो जाएंगी। ये वक्त न ठहरा है, यह वक्त न ठहरेगा… घबराना कैसा के माध्यम से उन्होंने संदेश दिया कि बुरे दौर भी बीत जाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत के साथ नाल पर भोला कुमार ने, हारमोनियम पर सुजीत कुमार ने, पिंटू कुमार ने पैड पर और मनोज कुमार ने कैसियो पर संगत किया।