- डॉ. वीरेन्द्र कुमार*
यद्धपि “दिव्यांगता” सविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में आता है, भारत सरकार ने हमेशा ही दिव्यांगता के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया है. केंद्रीय स्तर पर दिव्यांगता सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के कई महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्वों में से एक है। अतः इस विषय की गंभीरता और विशिष्ट प्रकृति को देखते हुए 12 मई, 2012 को मंत्रालय के भीतर एक पृथक “दिव्यांगता कार्य विभाग” की स्थापना की गयी. विभाग की परिकल्पना एक समावेशी समाज का निर्माण करना जिसमें दिव्यांगों के विकास और विकास के लिए समान अवसर प्रदान किए जाते हैं ताकि वे उत्पादक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
प्रधान मंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद दिव्यांगजनों से सम्बंधित मुद्दों को सरकारी पहलों में सबसे आगे रखा गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने की दृष्टि से तथा इनके अन्दर की क्षमता को पहचानते हुए उन्हें “दिव्यांगजन” नाम से संबोधित किया. तदनुसार, इस विभाग का “दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी)” के रूप में पुन:नामकरण भी किया गया.
प्रधान मंत्री जी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” और इसके लिए “सबका प्रयास” के मन्त्र को साकार करते हुए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, दिव्यांगजनों के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक सशक्तिकरण तथा उनके लिए एक समावेशी एवं सुगम्य वातावरण बनाने हेतु विभिन्न केन्द्रीयकृत योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है जिससे कि उनका समग्र विकास सुनिश्चित हो. इनमें से कुछ मुख्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों तथा उनके मुख्य उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:
I. दिनांक 19.4.2017 से दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 लागू किया गया है जो एक अधिकार आधारित अधिनियम (Right based Act) है और 1995 के वेलफेयर बेस्ड (Welfare Based) अधिनियम की तुलना में दिव्यांगजनों के अधिकारों और हकों के दायरे को और अधिक व्यापक बनाता है. इसके अंतर्गत दिव्यांगता की श्रेणियों को 7 से बढ़ाकर 21 किया गया. दिव्यांगों के लिए आरक्षण के 03% की सीमा को बढ़ाकर सरकारी नौकरियों में 04% तथा सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में 05% किया गया. 04 जनवरी 2021 को, केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों में विभिन्न श्रेणी के पदों में बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 3566 पद अधिसूचित किये गए हैं.
II. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 में उल्लिखित गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए सिपडा (SIPDA) नामक अम्ब्रेला योजना चलाई जा रही है जिसके कुछ प्रमुख घटकों में विशेष उल्लेखनीय हैं:
• दिसम्बर, 2015 में आरम्भ की गयी ‘सुगम्य भारत अभियान’ कार्यक्रम का उदेश्य पूरे देश में एक सुगम्य वातावरण का सृजन करना है ताकि न केवल दिव्यांगजन अपितु वरिष्ठ जन भी जीवन के हर क्षेत्र में सुगमता से आगे बढ़ें.
• मार्च 2015 में एक “राष्ट्रीय कार्य योजना” प्रारम्भ की गई है जिसके अंतर्गत दिव्यांगजनों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान कराये जा रहें हैं ताकि वे स्वावलंबी बन सकें.
• देश के हर दिव्यांगजन को एक विशिष्ट पहचान देने के लिए और उनका एक केन्द्रीयकृत डाटा बेस बनाने हेतु 2015-16 से विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र UDID प्रोजेक्ट लागू किया गया है जो देश के 713 जिलों में लागू हो चुकी है. अब तक लगभग 61 लाख से ज्यादा UDID कार्ड जारी भी हो चुके हैं.
III. एडीप योजना के अंतर्गत उच्च गुणवत्ता, वैज्ञानिक रूप से निर्मित, टिकाऊ और आरामदायक सहायक उपकरण प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत श्रवण बाधित बच्चों को सुनने और बोलने के लिए सक्षम बनाने हेतु दिसम्बर, 2014 में कोकिलियर इम्प्लांट सर्जरी का शुभारंभ किया गया और अब तक पूरे देश में 3645 कोकिलियर इम्प्लांट सर्जरियां सफलता पूर्वक की जा चुकी हैं.
IV. दिव्यांगजनों के शैक्षणिक सशक्तिकरण की दिशा में मंत्रालय द्वारा एक अम्ब्रेला छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत विदेशों में मास्टर डिग्री तथा पीएचडी सहित कक्षा IX से लेकर स्नातकोत्तर डिग्री/ डिप्लोमा और एम.फिल/ पीएचडी के लिए छह छात्रवृति योजनायें चलाई जा रहीं हैं जिनमें से पांच योजनायें 2014-15 के बाद शुरू की गईं हैं. परिणामतः 2014 -15 में जहाँ केवल 306 दिव्यांग छात्र लाभान्वित हुए वहीँ अब प्रतिवर्ष औसतन 42,000 दिव्यांग छात्र छात्रवृति ले रहें हैं.
V. दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना के अंतर्गत गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए विशेष स्कूल और गृह आधारित पुनर्वास कार्यक्रम के लिए अनुदान दिया जाता है. इसी क्रम में जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना कर दिव्यांग जनों के सम्पूर्ण पुनर्वास की व्यवस्था भी की जा रही है.
VI. वर्ष 2015 में स्थापित भारतीय सांकेतिक भाषा में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के द्वारा सांकेतिक भाषा के 10,000 शब्दों के शब्दकोष का निर्माण किया गया है और NCERT की पहली से बारहवीं तक की पाठ्य पुस्तकों को श्रवण बाधित दिव्यांग छात्रों के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा में अनुवाद किया जा रहा है । इस वर्ष (2021) के गणतंत्र दिवस परेड में “एक राष्ट्र, एक सांकेतिक भाषा” के विषय पर एक झांकी भी प्रदर्शित की गई थी.
VII. दिव्यांगजनों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक खेलों को बढ़ावा देने और उनके खेल कौशल को और बेहतर करने के उद्धेश्य से देश के पांच क्षेत्रों में दिव्यांगता खेल केन्द्र स्थापित करने की योजना भी है जिसमें से ग्वालियर में आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त पहले दिव्यांगता खेल केंद्र की स्थापना का कार्य प्रगति पर है.
VIII. मनो-सामाजिक दिव्यांगताओं से ग्रस्त व्यक्तियों के पुनर्वास हेतु सीहोर, मध्यप्रदेश में स्थापित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) सितम्बर 2019 से काम कर रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने हेतु सितम्बर, 2020 में 13 भाषाओँ में एक 24×7 टोल फ्री हेल्प लाइन सेवा ‘किरण’ की शुरुआत भी की गयी है.
IX. कोविड 19 के दौरान दिव्यांगजनों की सुरक्षा और संरक्षा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों को व्यापक दिव्यांगता समावेशी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसके अंतर्गत अन्य प्रावधानों के साथ दिव्यांगों के लिए राज्य नोडल प्राधिकरणों के रूप में राज्य आयुक्त की नियुक्ति को अनिवार्य किया गया है. हाल हीं में सरकार द्वारा उन दिव्यांगजनों और विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों, जो कोविड के टीकाकरण हेतु टीकाकरण केंद्र पर नहीं आ सकते हैं, उनको उनके घर पर हीं टीकाकरण की व्यस्था की है.
X. प्रारंभिक बचपन में दिव्यांगता की शीघ्र पहचान और पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करने हेतु “प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र” स्थापित किये जा रहे हैं.
XI. विभाग के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों में से एक एलिम्को दिव्यांगों के लिए सहायक यन्त्र एवं उपकरण के निर्माण एवं वितरण के क्षेत्र में जबकि ‘एनएचएफडीसी’ उनके आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कार्यरत हैं.
XII. विभाग के अधीन तीन सांविधिक निकाय हैं जिनमें से भारतीय पुनर्वास परिषद् (RCI) पुनर्वास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में पेशेवरों तथा कार्मिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की मोनिटरिंग करती है जबकि मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन (सीसीपीडी) के द्वारा दिव्यांगों के अधिकारों से वंचित होने या नियमों, कानूनों के लागू नहीं होने से सम्बंधित शिकायतों पर विचार किया जाता है. राष्ट्रीय न्यास (नेशनल ट्रस्ट) आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु दिव्यांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण में संलग्न है.
XIII. इसके अतिरिक्त दिव्यांगता पुनर्वास के क्षेत्र में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत कुल 9 राष्ट्रीय संस्थान (National Institutes) और 21 समेकित क्षेत्रीय केंद्र पुनर्वास, शिक्षा तथा अनुसन्धान के क्षेत्र में कार्यरत हैं.
*(लेखक: डॉ. वीरेन्द्र कुमार, केंद्रीय सामजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री)