वैशाली: पोषण मेला में पारंपरिक और स्थानीय खाद्य पदार्थों पर जोर

Uncategorized

पटना: 23 सितंबर 2020:: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के फील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा इकाई द्वारा आज वैशाली जिले के चहराकलां प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में राष्ट्रीय पोषण माह एवं आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पोषण मेले का आयोजन किया गया। पोषण मेले का उद्घाटन वैशाली की डीपीओ आईसीडीएस ललिता कुमारी, दरभंगा के राजकीय राजेश्वरी भारतीय विज्ञान संस्थान के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा, चेहराकला की सीडीपीओ डॉ प्रतिभा कुमारी, चेहराकला प्रखंड के बीडीओ कुमोद कुमार ने सम्मिलित रूप से किया।
पोषण मेले में अन्नप्राशन, गोद भराई, हेल्दी बेबी शो, पोषण रंगोली प्रतियोगिता, पोषण मेहंदी प्रतियोगिता, पोषण क्विज का आयोजन किया गया। मौके पर उपस्थित अतिथियों ने बच्चे और बच्चियों काअन्नप्राशन किया। वहीं गर्भवती महिलाओं की गोद भराई और साथ ही हेल्दी बेबी शो के तहत विभिन्न मानदंडों पर चयनित बच्चों को उपहार दिया गया। पोषण क्विज में लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और पुरस्कार जीता। आयोजक द्वारा प्रखंड की आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं को जुट बैग उपहार स्वरूप दिया गया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पंजीकृत सांस्कृतिक दल विरासत सोनपुरी के द्वारा पोषण पर आधारित गीत, नृत्य एवं नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वैशाली जिले की डीपीओ (आईसीडीएस) ललिता कुमारी ने कहा कि कुपोषण को दूर करना राष्ट्रीय पोषण माह का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 2022 तक कुपोषण की दर में दो फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम पूरी तरह कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों की रहने वाली अधिकांश किशोरियां एवं महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। उन्हें आयरनयुक्त पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे वातावरण में और हमारे आसपास सभी पोषक खाद्य उपलब्ध है। हमें जरूरत है उन्हें पहचानने की और उन्हें उपयोग में लाने की।
राजकीय राजेश्वरी भारतीय विज्ञान संस्थान, दरभंगा के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि हमें पारंपरिक और स्थानीय खाद्य पदार्थों की ओर कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवनशैली में बदलाव लाने की आवश्यकता है। दशहरे से होली तक का समय स्वास्थ्यवर्धक भोजन का होता है। इस दौरान लोगों को हरी साग-सब्जियों एवं अन्य पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम स्थल के आसपास से ही गिलोय, पीपल, तुलसी, भृंगराज, चिड़चिड़ी सरीखे पौधे एवं साग-सब्जियों को लाकर कार्यक्रम स्थल पर मौजूद लोगों को इनके गुणों से रूबरू करवाया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोगों को ‛लोकल फॉर वोकल’ के तहत स्थानीय पारंपरिक साग-सब्जियों का सेवन करना चाहिए और पोषण वाटिका के तहत इनका विकास करना चाहिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि लोगों को पोषण के प्रति जागरूक करने और कुपोषण मिटाने के उद्देश्य से ही मंत्रालय की ओर से पोषण मेले का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। इसलिए लोगों को अपने और अपनों के पोषण व स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए।
चेहराकला, वैशाली की सीडीपीओ डॉ प्रतिभा कुमारी ने कहा कि हमें पोषण युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी तो होती है लेकिन उस पर और अधिक अमल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति स्वयं और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए ख़ुद जिम्मेदार बने।
केयर इंडिया वैशाली के टीम लीडर सुमित कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एनीमिया की समस्या को 2% कम करना है। पोषण वाटिका के माध्यम से लोगों के घरों में ही पोषण युक्त सब्जियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। नवजात शिशु के पोषण का ख्याल रखने की जरूरत है। 2 वर्षों तक बच्चों को सबसे ज्यादा पोषण युक्त खाद्य की जरूरत होती है।
कार्यक्रम का संचालन फील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा के क्षेत्रीय प्रचार सहायक सर्वजीत सिंह एवं आईसीडीएस चेहराकला की पर्यवेक्षिका रूबी कुमारी ने सम्मिलित रूप से किया।
मौके पर चेहराकला प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा
पदाधिकारी, प्रखंड के सर्किल ऑफिसर सहित उत्क्रमित मध्य विद्यालय चहराकलां के प्राचार्य चंद्रभूषण कुमार, आईसीडीएस चहराकलां की पर्यवेक्षिका नीलम कुमारी और ज्योति कुमारी ने भी पोषण के बारे में छात्राओं को संबोधित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *