हिन्दी अपनी, कितनी अपनी: हिंदी दिवस पर जीकेसी की प्रस्तुति

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  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना (नयी दिल्ली), 15 सितंबर 2021 :: जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से हिन्दी दिवस के अवसर पर वर्चुअल कार्यक्रम “हिन्दी अपनी..कितनी अपनी” का आयोजन किया गया।

वर्चुअल कार्यक्रम के संयोजक प्रेम कुमार ने बताया कि हिन्दी दिवस के अवसर पर 14 सितंबर (मंगलवार) को आयोजित कार्यक्रम का होस्ट जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव शिवानी गौड़ थी। डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल अध्यक्ष आनंद सिन्हा, डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव सौरभ श्रीवास्तव भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर का दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। नि:संदेह हिन्दी भारत में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। हालांकि अंग्रेजी के प्रति अभी भी भारतवासियों का झुकाव है। लोगों को हिन्दी के प्रति आदर और उसका मूल्य समझना चाहिए। हिन्दी देश को जोड़ने वाली भाषा है।

उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता और विकास में हिन्दी भाषा का अहम योगदान है। हिन्दी को लोगों के मन में बसाना है, इसके लिए वर्ष में एक बार हिन्दी दिवस मना कर नहीं, बल्कि वर्ष भर इस पर काम करना होगा।

उक्त अवसर पर पवन सक्सेना ने बताया कि वर्ष 2001 की जनगणना में 422 लाख से अधिक लोगों ने अपनी मातृभाषा के रूप में हिन्दी का उल्लेख किया है। देश में किसी भी अन्य भाषा का कुल आबादी का 10% से अधिक उपयोग नहीं किया जाता है। हिन्दी हमारे देश की मातृभाषा है, इसलिए अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए सभी लोगों को सतत प्रयास करना चाहिए। विश्व के समस्त कायस्थ परिवार को जोड़ने को संकल्पित जीकेसी परिकल्पना को साकार करने के लिए कला संस्कृति प्रकोष्ठ अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देगा।

जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने बताया कि हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी भाषा पर आधारित प्रश्नोत्तरी, लोकोक्तियाँ, मुहावरों के साथ-साथ हिन्दी शब्दों को पिरोकर कई मनोरंजक सवाल जवाब किए गए। विभिन्न राज्यो से आये प्रतिभागियों को तीन समूह में विभक्त किया गया था। निर्णायक की भूमिका में जीकेसी राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सक्सेना और कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव शीला गौड़ ने अहम भूमिका निभायी। कार्यक्रम में प्रतिभागियों की तीन टीम बनायी गयी, जिसमें वर्ग ए से कस्तूरी सिन्हा और वर्ग बी से प्रभास कर्ण, श्रुति सिन्हा और गीता कुमारी तथा वर्ग सी से तन्वी माथुर और रजत नाथ ने शिरकत की। प्रथम स्थान पर टीम बी की श्रुति सिन्हा और गीता कुमारी ने बाजी मारी जबकि वर्ग ए और वर्ग सी की टीम बराबर-बराबर अंक लेकर संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान पर रही।

शिवानी गौड़ ने बताया कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है, हमारी निजी भाषा है ..हमें इससे प्यार होना ही चाहिए…। हमें हिन्दी का सम्मान दिलाने के लिए इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने होंगे और हिन्दी को उसका अधिकार उसका सम्मान फिर से वापस दिलाना होगा। हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा एवं राजभाषा है और हमें इसके संरक्षण एवं संवर्धन पर ध्यान देना चाहिये।

जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने बताया कि एक भारतीय होने के नाते हमें हिन्दी का अच्छा ज्ञान होना जरूरी है। हिन्दी दिवस भारतीय संस्कृति को संजोने और हिन्दी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है। हिन्दी दिवस लोगों को उनकी जड़ों से जोड़े रखता है और लोगों को उनकी मूल संस्कृति की याद दिलाता है। देश प्रेम की तरह हिन्दी के लिए भी प्रेम हृदय से जागृत होना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा हिन्दी दिवस हमारे सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है। हिन्दी हमारी पहचान है हमारी शान है।

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