अमृत महोत्सव फोटो प्रदर्शनी: बिहार के स्वतंत्रता सेनानियों की दुर्लभ चित्रों को देखने आरा में उमड़ी भीड़

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आरा: 29 अगस्त‌, ‌2021‌:: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना के द्वारा एम.एम.महिला महाविद्यालय में लगाये गए तीन दिवसीय ‘आजादी का अमृत महोत्सव-फोटो प्रदर्शनी’ लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने फोटो प्रदर्शनी की सराहना की और उन्होंने कहा कि कई ऐसी दुर्लभ तस्वीरें फोटो प्रदर्शनी में देखने को मिला, जिसे उन्होंने किताबों में भी कहीं नहीं देखा है।


कार्यक्रम का एक अन्य आकर्षण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता रही, जिसमें बड़ी संख्या में कॉलेज की छात्र-छात्राओं, एनसीसी के कैडेट्स एवं नेहरू युवा केंद्र के वॉलिंटियर ने हिस्सा लिया और पुरस्कार जीता। प्रियांशु कुमार पाठक, पूजा कुमारी, सृष्टि कुमारी, मंजू कुमारी, कुणाल कुमार, अमृत सिंह निम्बर्ण, श्रुति कुमारी, अभिषेक कुमार, सुंदरम कुमार ने प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता।
कार्यक्रम स्थल पर मंत्रालय के पंजीकृत सांस्कृतिक दल और एम.एम.महिला कॉलेज की छात्र-छात्राओं के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया। कार्यक्रम स्थल पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग की ओर से एक बुक स्टाल भी लगाया गया है, जहां स्वतंत्रता सेनानियों और आजादी से जुड़ी कई किताबें बिक्री के लिए प्रदर्शित की गई है।
प्रधानमंत्री जी के ‛मन की बात’ कार्यक्रम को सुनने की भी खास व्यवस्था एम.एम.महिला कॉलेज सभागार में की गई,जहाँ छात्र-छात्राओं एवं आमजनों ने प्रधानमंत्री के संवाद को सुना।
महिला कॉलेज के सभागार में ‛आजादी का अमृत महोत्सव’, ‛स्वतंत्रता संग्राम में बाबू वीर कुंवर सिंह का योगदान’ और ‛आजादी के लिए आंदोलन’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। संगोष्ठी में विषय प्रवेश करते हुए फ़ील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को स्वतंत्रता सेनानियों और उनके बलिदान से अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम देशभर के विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए जा रहे हैं।
संगोष्ठी में एम. एम. महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ आभा सिंह ने कहा कि अमृत का तात्पर्य है, जो मृत न हो यानी जो अमर है। आजादी का अमृत महोत्सव उन वीर सपूतों व बलिदानियों के स्मरण का उत्सव है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नंदजी दुबे ने कहा कि हर भारतीय को अपने देश के इतिहास का ज्ञान जरूर होना चाहिए। उन्होंने आजादी की लड़ाई में साहित्यकारों की भूमिका पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि क्रांतिकारी कविताएं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मार्गदर्शन का काम करती थीं। विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. ओमप्रकाश राय ने वीर कुंवर सिंह और उनकी धरती के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा शाहाबाद की विशेषता वैसे ही है जैसे कि भारत की। जिस तरह भारत तीन दिशाओं से समुद्र से घिरा है और एक तरफ पर्वत से, उसी प्रकार शाहाबाद तीन तरफ से नदियों से और एक तरफ विंध्य की पहाड़ियों से घिरा हुआ है,जो इसकी विशिष्ट पहचान बनाती है। अतिथि वक्ता के रूप में शामिल रिटायर्ड मेजर राणा प्रताप सिंह ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भोजपुर के कारीसाथ गांव के 56 लोगों ने हिस्सा लिया था जिसमें से 6 शहीद हो गए थे।
कार्यक्रम के दौरान शहीद संतोष कुमार के पुत्र अंश कुमार ने भी अपनी बातें रखी और मौके पर ही शहीद संतोष कुमार की पत्नी रूबी कुमारी को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर कॉलेज की प्राचार्या डॉ आभा सिंह ने सम्मानित किया। कोबरा बटालियन के संतोष कुमार नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए थे।
कार्यक्रम स्थल पर आरओबी के क्षेत्रीय प्रचार सहायक नवल किशोर झा, सर्वजीत सिंह, बलंद इकबाल सहित अन्य ऑफिशियल भी मौजूद थे।

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