बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल: क्षेत्र, धर्म या अन्य किसी प्रकार की संकीर्णता से अलग थे

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  • जितेन्द्र कुमार सिन्हा

पटना: 24 अगस्त 2021 :: बिहार की धरती पर विद्वानों, महापुरूषों एवं राजनीतिज्ञों की कड़ी में एक नाम बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल का भी आता हैैैै, जिन्होंने जीवन भर दीनों-दलितों के उत्थान के लिए कार्य किया था।

बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल का जन्म मधेपुरा जिलान्तर्गत ग्राम भूरहो निवासी स्व0 बाबू रास बिहारी मंडल के घर 25 अगस्त,1918 को हुआ था। वे बचपन से ही संकल्प की दृढ़ता, स्वाभिमान जैसे अनेक गुणो से परिपूर्ण थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा मधेपुरा में, स्कूली शिक्षा दरभंगा में और महाविद्यालय की शिक्षा पटना के पटना कॉलेज में हुई थी।

बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल के मन में क्षेत्र, धर्म या अन्य किसी प्रकार की संकीर्णता का कोई स्थान नहीं था। वे समाज के बड़े वर्ग को जो जो अपने को पंगु, असहाय, निराश और गरीबी से प्रताड़ित और त्रस्त समझता था उसको उपर उठाने के लिए निरंतर लगे रहते थे। उनकी अपनी सोच थी कि जाति प्रथा का सफलता से उन्मूलन हो जाय और छुआछूत खत्म हो जाय ताकि देश की एक बड़ी जनसंख्या में आत्मविश्वास जाग जाये और उनकी सोई हुई प्रतिभा अपने आप नये उन्मेष के साथ गतिशील हो जाय।
बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल सही मायनों में सामाजिक परिवेष के हितायती थे और दलितों, मजदूरों एवं शोषितों के रहनुमा। लोगों के जहन में उनकी अप्रतिम जनसेवक के रूप में व्यक्तित्व, कर्मठता और त्याग एक अमूल्य घरोहर के समाज है जो सदैव जनसेवा के लिए अनुप्रेरित करता रहता है।

प्रारम्भ में वे कांग्रेस से सम्बद्ध थे, लेकिन बाद में वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सक्रिय सदस्य हो गये थे। उन्होंने असुविधाओं के समक्ष कभी घुटने नहीं टेके थे। वे दूसरों के कष्ट को देखकर हमेशा द्रवित हो जाते थे और मार्मिक दृष्यों के आघार से फुट पड़ना उनका सहज स्वभाव था। उनका निष्छल प्रेम और दया से परिपूर्ण जीवन था। वे कर्तव्य निर्वहन के समय में बज्र की तरह कठोर और पत्थर की तरह अडिग बन जाते थे।

वे अद्भूत कर्मठत, उदारता और प्रखर राजनीतिक सूझबूझ के धनी थे। वे 1952 से 1957 तथा 1962 से 1967 तक बिहार विधान सभा के सदस्य रहे थे। पुनः 1968 में वे बिहार विधान परिषद् के सदस्य बनें। लेकिन 1968 में ही उन्होंने बिहार विधान परिषद् की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया था। 1967 में वे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किये थे। बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में वे 01 फरवरी,1968 से 22 मार्च, 1968 तक कार्य किया था। उस समय उन्होंने अद्भूत प्रशासनिक क्षमता का परिचयर राज्य को दिया था। 1968 में बिहार विधान परिषद् की सदस्यता से त्याग पत्र देने के बाद लोक सभा के उप चुनाव में लोक सभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। वे अनेको मध्य विद्यालयों, उच्च विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना की थी।

सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टिकोण से पिछड़े वर्गाें को परिभाषित करने के लिए मापदंडका निर्धारण तथा उनके उत्थान के लिए रिर्पोट देने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 20 सितम्बर, 1978 को बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने पिछड़ा आयोग का कार्यावधि दो बार बढ़ाई थी। अनेक बाधाओं और समयाभाव के बावजूद आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल का निधन पटना मेडिकल कॉलेज में हृदय गति रूकने के कारण 13 अप्रील,1982 को 64 वर्ष की उम्र में हो गयी थी।

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