- डॉ शक्ति सिंह चौहान
खुली हवा ये प्यारी मिट्टी , हिन्द तुम्हारी देन है।
सांस ले रहा जीवन मेरा , ये हिन्द तुम्हारी देन है।।
बहती नदियां जीवन देती , सोना उगले मिट्टी जिसकी ,
गर्वित हर मन जोश भरा है , ये हिन्द तुम्हारी देन है।
विश्वगुरू हम अपने दमपर , आज नहीं ये सदियों से है,
ये धरा धरोहर स्वर्ग है सबका, ये हिन्द तुम्हारी देन है।
आध्यात्म से कम्प्यूटर तक , सोच जो सबसे आगे रखी,
यहाँ हर जन अदभुत शिल्पकार है, ये हिन्द तुम्हारी देन है।
मातृभूमि और माँ की ख़ातिर, पल में सब न्योछावर करदे,
ऐसे अशंख्य लाल है हरेक दिशा में, ये हिंद तुम्हारी देन है।
बड़े सूरमा महापुरुषों का, अदभुत है इतिहास यहाँ पर,
बलिदानी हर कण मिट्टी का ,ये हिंद तुम्हारी देन है।
हर जन का संकल्प यही है, बिना हिंद के कुछ नहीं है,
हंसी खुशी सिर देने वाले, ये हिन्द तुम्हारी देन है।
सर्व धर्म का संगम प्यारा, देश हमारा सबसे न्यारा,
राष्ट्र प्रेम के अहसास की “शक्त्ति”, ये हिन्द तुम्हारी देन है।।
जय हिंद, जय भारत
( 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में मेरी छोटी सी रचना आप लोगों के लिए प्रस्तुत है – डॉ शक्ति सिंह चौहान)