सिफ़ान हसन: गिरकर उठने वाले चैंपियन बनते हैं

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  • दिलीप कुमार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने उन्हें युवाओं का आदर्श बताया। अपने देशवासियों को प्रेरित करते हुए इमरान खान ने कहा कि उनका वीडियो हर पाकिस्तानी को बार-बार देखना चाहिए। परंतु पाकिस्तान उनका मुल्क़ नहीं है। उनका जन्म अफ़्रीकी देश इथियोपिया में हुआ। लेकिन इथियोपिया भी अब उनका मुल्क नहीं है। 15 वर्ष की आयु में बेहतर जीवन की तलाश में वह इथियोपिया से शरणार्थी के रूप में नीदरलैंड चली आई थी और अब वह पूर्णरूपेण नीदरलैंड की ही हो गई हैं। उन्हें मध्यम दूरी की विश्व की सर्वश्रेष्ठ धाविकाओं में से एक माना जाता है। टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत कर उन्होंने अपना लोहा मनवाया। पर सारी दुनिया में उनके पादकों से अधिक चर्चा क्वालीफाइंग राउंड के उस रेस की हो रही है जिसमें रेस के दौरान गिरकर सभी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों से पिछड़ जाने के बाद वह उठी,दौड़ी और तेजी से आगे बढ़ते हुए फाइनल में पहुंचने के अपने लक्ष्य को पूरा किया। अपनी दौड़ के दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद की प्रेरित करती वाणी उत्तिष्ठत जाग्रत रानी बोधक को सत्य में चरितार्थ कर रही थीं। उस क्वालीफाइंग रेस में सिफ़ान हसन ने जिस तरह की हिम्मत और जिजीविषा दिखाई, वह अब पूरी दुनिया को प्रेरित कर रही है।

टोक्यो ओलंपिक में सिफ़ान हसन ने अपने देश नीदरलैंड के लिए 5000 मीटर और 10000 मीटर की स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक और 1500मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता। किसी एक ओलंपिक में मध्यम दूरी की दौड़ में तीन पदक पाने वाली वह विश्व की पहली महिला एथलीट बन गई हैं। 2019 के विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने 1500 मीटर और 10000 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने कई विश्व कीर्तिमान ध्वस्त किए हैं। अभी दो विश्व कीर्तिमान उनके नाम हैं। मोनाको में 5 किलोमीटर रोड रेस को 14.14 मिनट में पूरा करके उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाया। एक मील की दूरी 4 मिनट 12.33 सेकंड में पूरा करने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है। 2021 में उन्होंने 10000 मीटर की दूरी सबसे कम समय में पूरा करने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था लेकिन दो दिन बाद ही वह रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया।
दुनिया को चमकती हुई चीजें पसंद आती है। सिफ़ान हसन भी अपने जीवन का चमकीला पक्ष ही सारी दुनिया को दिखाना चाहती हैं। 15 वर्ष की आयु से पहले इथियोपिया में अपने जीवन के संघर्ष के बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताती और ना ही उस दर्द की चर्चा करती हैं जिसके कारण अपना देश छोड़कर एक शरणार्थी के रूप में उन्हें नीदरलैंड आना पड़ा। 2013 में उन्हें नीदरलैंड के नागरिकता मिली और उसी साल से वह नीदरलैंड इस झोली में सोने का तमगा डालने लगीं। 2013 के ग्लोबल एथलेटिक्स मीट की 800 मीटर स्पर्धा और डायमंड लीग की 15 मीटर स्पर्धा में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। फिर अंडर 23 यूरोपीय क्रॉस कंट्री की विजेता बनी। 2014 में ज्यूरिख में आयोजित यूरोपीय चैंपियनशिप में 1500 मीटर और 2018 के बर्लिन यूरोपीय चैंपियनशिप की 5000 मीटर दौड़ में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 2015 में प्राग में आयोजित यूरोपियन इंडोर चैंपियनशिप के 1500 मीटर का स्वर्ण पदक भी उन्होंने अपने नाम किया। 2016 में पोटलैंड में आयोजित विश्व इंडोर चैंपियनशिप में भी उन्हें स्वर्ण पदक मिला।
विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही सिफ़ान हसन अपनी निजी जिंदगी दूसरों के साथ साझा करने से परहेज करती हैं। रहीम की पंक्तियां मानो उन्होंने अक्षरशः अपना ली हैं-
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने उन्हें युवाओं का आदर्श बताया। अपने देशवासियों को प्रेरित करते हुए इमरान खान ने कहा कि उनका वीडियो हर पाकिस्तानी को बार-बार देखना चाहिए। परंतु पाकिस्तान उनका मुल्क़ नहीं है। उनका जन्म अफ़्रीकी देश इथियोपिया में हुआ। लेकिन इथियोपिया भी अब उनका मुल्क नहीं है। 15 वर्ष की आयु में बेहतर जीवन की तलाश में वह इथियोपिया से शरणार्थी के रूप में नीदरलैंड चली आई थी और अब वह पूर्णरूपेण नीदरलैंड की ही हो गई हैं। उन्हें मध्यम दूरी की विश्व की सर्वश्रेष्ठ धाविकाओं में से एक माना जाता है। टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत कर उन्होंने अपना लोहा मनवाया। पर सारी दुनिया में उनके पादकों से अधिक चर्चा क्वालीफाइंग राउंड के उस रेस की हो रही है जिसमें रेस के दौरान गिरकर सभी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों से पिछड़ जाने के बाद वह उठी,दौड़ी और तेजी से आगे बढ़ते हुए फाइनल में पहुंचने के अपने लक्ष्य को पूरा किया। अपनी दौड़ के दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद की प्रेरित करती वाणी उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत यानी उठो जागो और लक्ष्य की प्राप्ति होने तक मत रुको को यथार्थ में चरितार्थ कर रही थीं। उस क्वालीफाइंग रेस में सिफ़ान हसन ने जिस तरह की हिम्मत और जिजीविषा दिखाई, वह अब पूरी दुनिया को प्रेरित कर रही है।

टोक्यो ओलंपिक में सिफ़ान हसन ने अपने देश नीदरलैंड के लिए 5000 मीटर और 10000 मीटर की स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक और 1500मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता। किसी एक ओलंपिक में मध्यम दूरी की दौड़ में तीन पदक पाने वाली वह विश्व की पहली महिला एथलीट बन गई हैं। 2019 के विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने 1500 मीटर और 10000 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने कई विश्व कीर्तिमान ध्वस्त किए हैं। अभी दो विश्व कीर्तिमान उनके नाम हैं। मोनाको में 5 किलोमीटर रोड रेस को 14.14 मिनट में पूरा करके उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाया। एक मील की दूरी 4 मिनट 12.33 सेकंड में पूरा करने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है। 2021 में उन्होंने 10000 मीटर की दूरी सबसे कम समय में पूरा करने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था लेकिन दो दिन बाद ही वह रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया।
दुनिया को चमकती हुई चीजें पसंद आती है। सिफ़ान हसन भी अपने जीवन का चमकीला पक्ष ही सारी दुनिया को दिखाना चाहती हैं। 15 वर्ष की आयु से पहले इथियोपिया में अपने जीवन के संघर्ष के बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताती और ना ही उस दर्द की चर्चा करती हैं जिसके कारण अपना देश छोड़कर एक शरणार्थी के रूप में उन्हें नीदरलैंड आना पड़ा। 2013 में उन्हें नीदरलैंड के नागरिकता मिली और उसी साल से वह नीदरलैंड इस झोली में सोने का तमगा डालने लगीं। 2013 के ग्लोबल एथलेटिक्स मीट की 800 मीटर स्पर्धा और डायमंड लीग की 15 मीटर स्पर्धा में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। फिर अंडर 23 यूरोपीय क्रॉस कंट्री की विजेता बनी। 2014 में ज्यूरिख में आयोजित यूरोपीय चैंपियनशिप में 1500 मीटर और 2018 के बर्लिन यूरोपीय चैंपियनशिप की 5000 मीटर दौड़ में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 2015 में प्राग में आयोजित यूरोपियन इंडोर चैंपियनशिप के 1500 मीटर का स्वर्ण पदक भी उन्होंने अपने नाम किया। 2016 में पोटलैंड में आयोजित विश्व इंडोर चैंपियनशिप में भी उन्हें स्वर्ण पदक मिला।
विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही सिफ़ान हसन अपनी निजी जिंदगी दूसरों के साथ साझा करने से परहेज करती हैं। रहीम की पंक्तियां मानो उन्होंने अक्षरशः अपना ली हैं-
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय।।

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