- निष्ठा सोलंकी
लखनऊ, 21 जून 2021:: सोमवार की सुबह लखनऊ के सफ़ेदाबाग वृद्धाश्रम में आइ ख़ुशियाँ जिसकी वजह बनी मीनू त्रेहान।
यूँ तो मीनू त्रेहान का एक लम्बे अरसे से इस वृद्धाश्रम से जुड़ाव रहा है पर आज यहाँ उनके आने की वजह कुछ ख़ास थी। यहाँ के बुजुर्गों से किए हुए वादे को निभाने आज अपने साथियों संग वे पहुँची। एक गृहिणी, माँ, बेटी, बहु, बहन और ना जाने कितने ही किरदार है इनके और इसी कारण वश किसी महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त होने की वजह से 16 जून को अपना जन्मदिन वे नहीं मना पाई थी, इसलिए वह आज इस वृद्धाश्रम में जाकर सभी बुजुर्गों के साथ अपना जन्म दिन मनाकर उनकी जिंदगी के कुछ पलो को यादगार बनाया।
हर किसी की जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव आते जाते रहते हैं पर हम सभी हर मुश्किल को आसानी से पार कर लेते हैं क्योंकि हर अच्छे बुरे वक़्त में हमारे साथ हमारा परिवार होता है।
बड़े बुजुर्गों के साये में रहना अपने आप में ईश्वर की कृपा है जो जिंदगी के हर मोड़ पर हमारी ताकत बनकर खडा होता है।
ना जाने क्यों कुछ लोग इस बात की अहमियत को समझ नहीं पाते, ख़ैर शायद जब वे खुद कल किसी ऐसे ही वृद्धाश्रम में अपने बच्चों द्वारा आएँगे तो अपने माँ बाप की पीर को समझ पाएँगे।
जिन बुजुर्गों की जिंदगी अपने बच्चों के जिक्र से शुरू होकर उनकी ही फिक्र पर खत्म हो जाती है।
मीनू त्रेहान के साथ इस कार्य में आज उनकी संभ्व्ता मदद रजत तिवारी, नूर, इमरान अली एवं सभी साथियों ने वृद्धाश्रम जाकर वहाँ फल, जूस, खाना, दवाइयाँ, मास्क, सैनेटाइज़र और कपड़े बाटें। मीनू त्रेहान और उनके सभी साथी आम परिवार से है और किसी भी संस्था या एन.जी.ओ. से नहीं।
वे दूसरों की ख़ुशियों में ख़ुद की ख़ुशियाँ ढूँढने के बहाने खोजते हैं और इसी तरह ऐसे नेक कार्यों में एक दूसरे की संभवतः मदद कर बेबस और असहाय लोगों की सहायता करते हैं।
जानकारी के लिए बता दें की सिर्फ़ लखनऊ के सफ़ेदाबाग वृद्धाश्रम जैसे देश के अनेकों सरकारी वृद्धाश्रम हैं जहाँ सरकार को अब भी ध्यान देने की आवश्यकता है।