दरभंगा, दिनांक 19 मई 2021::करोना महामारी के संकट को समाप्त करने के लिए तथा लोगों के कल्याण हेतु ( 11 मई से लेकर 26 मई तक) ये हवन निरंतर चल रहा है।
पूर्णाः पूर्णजलैः समुद्रसहिताः कुर्वन्तु मे मंगलम् ।।
इस श्लोक का अर्थ यही है कि उपर्युक्त सभी जल से परिपूर्ण नदियां, समुद्र सहित मेरा कल्याण करें । गंगा की महिमा तो वर्णनातीत है । उसे प्रणाम कर अपना जीवन सार्थक करने की परंपरा अति प्राचीन है ।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी। इसी कारण से इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती और जिस दिन गंगा जी पृथ्वीं पर अवतरित हुई वह दिन गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप धूल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।,
“ब्रह्म -प्रिया इन्हें वेद कहे
कोई शिव -प्रिया कोई विष्णु की रानी”
ऐसी भगवती माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। बगलामुखी जयंती वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है।
बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में से सबसे विशिष्ट है।
इन्हीं के उपलक्ष्य में सिद्ध विद्यापीठ गलमाधाम में पंडित जीवेश्वर मिश्र सहित प्रेमीगण ब्रम्हाशस्त्र धारिणी रोग नाशिनी माँ श्री बंग्लामुखी भगवती का हवन, एवं श्री बटुकभैरव आपद्दुधारक मंत्र से हवन एवं महामृत्युंजय मंत्र से हवन कर रहे हैं, ये हवन अमावस्या से लेकर वैशाख पूर्णिमा तक करोना महामारी के संकट को समाप्त करने के लिये तथा लोगों के कल्याण हेतु ( 11 मई से लेकर 26 मई तक) ये हवन निरंतर चल रहा है। नवम दिवस की हवनाग्नि का दर्शन करें ।