दरभंगा, दिनांक: 18 मई 2021:: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को जगतगुरु संत रामानुजाचार्य की जयंती सिद्ध विद्यापीठ गलमाधाम में मनाई गई।
रामानुजाचार्य ने वेदान्त दर्शन पर आधारित अपना नया दर्शन विशिष्ट अद्वैत वेदान्त लिखा था। रामानुजाचार्य ने वेदान्त के अलावा सातवीं-दसवीं शताब्दी के रहस्यवादी एवं भक्तिमार्गी आलवार सन्तों के भक्ति-दर्शन तथा दक्षिण के पंचरात्र परम्परा को अपने विचारों का आधार बनाया।
उन्होंने यूँ तो कई ग्रन्थों की रचना की किन्तु ब्रह्मसूत्र के भाष्य पर लिखे उनके दो मूल ग्रन्थ सर्वाधिक लोकप्रिय हुए- श्रीभाष्यम् एवं वेदान्त संग्रहम्।।
रामानुजाचार्य के अनुसार, भक्ति का अर्थ पूजा-पाठ या कीर्तन-भजन नहीं बल्कि ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है,
ऐसे भगवतपाद् जगतगुरु रामानुजाचार्य के जयंती के सुअवसर पर सिद्ध विद्यापीठ गलमाधाम में पंडित जीवेश्वर मिश्र सहित प्रेमीगण ब्रम्हाशस्त्र धारिणी महामारी नाशिनी माँ पिताम्बरा श्री बंग्लामुखी भगवती का हवन, एवं श्री बटुकभैरव आपद्दुधारक मंत्र से हवन एवं महादेव के महामृत्युंजय मंत्र से हवन कर रहे हैं ये हवन अमावस्या से लेकर वैशाख पूर्णिमा तक करोना महामारी के संकट को समाप्त करने के लिए तथा लोगों के कल्याण हेतु ( 11 मई से लेकर 26 मई तक) ये हवन निरंतर चल रहा है तथा अष्ट दिवस कि अग्नि का दर्शन और अपने जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास किया गया।