दरभंगा, दिनांक 17 मई 2021:: चैत्र, शुक्ल पक्ष पञ्चमी को छठे दिन सिद्ध विद्या पीठ मे आदि शंकराचार्य जयंती के अवसर पर पंडित जीवेश्वर मिश्र के सानिध्य में प्रेमीगण ब्रम्हाशस्त्र धारिणी माँ पिताम्बरा का हवन, श्री बटुकभैरव आपद्दुधारक मंत्र से हवन एवं महामृत्युंजय मंत्र से हवन कर रहे हैं ये हवन अमावस्या से लेकर वैशाख पूर्णिमा तक करोना महामारी के संकट को समाप्त करने के लिए तथा लोगों के कल्याण के ( 11 मई से लेकर 26 मई तक) ये हवन निरंतर चल रहा है।
आदि शंकराचार्य के बारे में कहा गया है कि;
अष्टवर्षेचतुर्वेदी, द्वादशेसर्वशास्त्रवित् षोडशेकृतवान्भाष्यम्द्वात्रिंशेमुनिरभ्यगात्
अर्थात् आठ वर्ष की आयु में चारों वेदों में निष्णात हो गए, बारह वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों में पारंगत, सोलह वर्ष की आयु में शांकरभाष्यतथा बत्तीस वर्ष की आयु में शरीर त्याग दिया।
ब्रह्मसूत्र के ऊपर शांकरभाष्यकी रचना कर विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी शंकराचार्य के द्वारा किया गया है, जो कि सामान्य मानव से सम्भव नहीं है।
ऐसे जगतगुरु शंकराचार्य के प्रादुर्भाव दिवस पर सिद्ध विद्यापीठ गलमाधाम में यह अध्यात्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया है।
अक्षय तृतीया के दिन “अक्षय तृतीया” यानी अपने कर्मों का अक्षय फल प्राप्त करने का पर्व, अक्षय का अर्थ होता है कभी न क्षय होने वाला, यानी अक्षय तृतीया के दिन हम जो भी सत्कर्म करते हैं हमें उसका अक्षय फल प्राप्त होता है।
विश्व करोना महामारी से मुक्त हो इसलिए सिद्ध विद्यापीठ गलमाधाम सहित, मुबई, नोएडा, भोपाल, नागपुर, ग्वालियर, हरियाणा, बाबा पीठ, सदाशिव धाम सहित शताधिक श्रद्धालु ब्रम्हाशस्त्र धारिणी माँ पिताम्बरा का हवन, श्री बटुकभैरव आपद्दुधारक मंत्र से हवन एवं महामृत्युंजय मंत्र से हवन कर रहे हैं ये हवन अमावस्या से लेकर वैशाख पुर्णिमा तक ( 11 मई से लेकर 26 मई तक) ये हवन निरंतर चल रहा है,
अक्षय तृतीया के दिन सिद्ध विद्यापीठ मे चल रहे हवन के अग्नि का दर्शन किया गया और लोग पुण्य के भागी बने।