पटना, दिनांक 16 मई 2021:: शिक्षायतन द्वारा आयोजित चेतना योग यात्रा में प्रत्येक रविवार सुबह 9:00 बजे से भारत के कई जाने-माने योग्य योग साधक, योग शोधकर्ता, समाजसेवी, चिकित्सक समाज से जुड़े लोगों से संपर्क स्थापित करने का यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें हम अपनी योग के प्रति जिज्ञासा को शांत व परेशानियां को समाधान कर सकेंगे। चेतना योग यात्रा कार्यक्रम शिक्षायतन के द्वारा चलाया जाने वाला योग ध्यान स्वस्थ पर आधारित है। जिसकी आज 16वीं कड़ी वर्चुअल रूप में प्रसारित की गई।
कोवीड महामारी में योग की महत्ता को ध्यान में रखकर।
शारीरिक, मांनसिक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास सहित आध्य्यात्मिक, धार्मिक एवं नैतिक विकास के लिए होती है शिक्षा।
शिक्षा का उद्देश्य है अच्छे मानव का निर्माण करना। इसके लिए प्रभावकारी शिक्षण का होना आवश्यक है। शिक्षण तभी प्रभावकारी होता है जब शिक्षक अपने स्नेहपूर्ण एवं उत्साहवर्द्धक व्यवहार से विद्यार्थी को सीखने का अवसर देता है।
इसी उद्देश्य से आज की योग यात्रा कार्यक्रम में भारत के कई राज्यो से दर्शकों के साथ विशेष इसे बिहार के विभिन्न ट्रेनिंग कॉलेजेज के शिक्षक प्रशिक्षु जुड़े थे।
आज के वर्चुअल कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में हृदय नारायण झा ने तमाम उपस्थित दर्शकों कि सवालों का जवाब देते हुए योग की बारीकियों को बताया।
आसान का अभ्यास, शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए आसन संबंधी ज्ञान का होना आवश्यक है।
पद्मासन, हलासन, मयूरासन आदि आसनों के अभ्यास से छात्र छात्राओं के जीवन में सदाचार, संयम, अनुशासन तथा अच्छे संस्कारों का विकास होता है। इसलिए शिक्षा में आसन की प्रायोगिक जानकारी दी।
प्राणायाम के अभ्यास से किसी विषय वस्तु को धारण करने की शक्ति बढ़ती है। इसलिए श्वास लेने के तरीके और उसके अंतराल को ध्यान में रखते हुए सांस लेने की क्रिया का अभ्यास भी कराया।
रेचक क्रिया के माध्यम से सांस लेने की प्रक्रिया पर नियंत्रण करने का भी अभ्यास कराया प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक शारीरिक और भावनात्मक स्थिति अलग अलग होती है। ऐसी अवस्था में आसन, प्राणायाम की विधि और अवधि का विशेष ध्यान दिया जाता है। इन्हीं आसनों और प्रणायाम ध्यान की अवस्था को जागृत करने अभ्यास करते हुए उनके गूढ़ की बताया। साथ ही शिक्षक प्रशिक्षुओं ने योगा मेथेडोलॉजी और आसनों के माध्यम से प्रभावकारी शिक्षण व अध्यापन की जानकारी दी।
सवाल की क्रम की क्रिया में ० रोग प्रतिरोध की क्षमता , ०ऑक्सीजन स्तर बढ़ने के लिए, ० कॉविड रिकवरी के बाद की यौगिक क्रिया, ० शीर्षासन और चक्रासन के फायदे और करने का तरीका, ० एकाग्रता बढ़ाने नकारात्मकता दूर करने के योग आसनों के जवाब को प्रयोगात्मक रूप में हृदय नारायण झा जी करके दिखाया ।
जिससे उचित लाभ मिल सके। और इस कोविड से जुड़े सवाल कि क्या करो ना मरीज को भी योगासन करने चाहिए? करो ना होने पर योगाभ्यास को नहीं करना चाहिए? इस तरह के अनगिनत सवालों का जवाब देकर योग गुरु हृदय नारायण झा ने समस्याओं का समाधान किया।
कार्यक्रम में नृत्यांगना यामिनी ने अध्यात्म की जानकारी देकर प्रशिक्षु दर्शकों की में एकाग्रता और लगन निष्ठा को बढ़ाने के लिए दिन चर्या को यौगिक करने की बात कही। योग से स्वत: हम मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होते है और अपने चारो ओर के ऑरा को दिव्य बनाकर रख पाते है। यही सकारात्मक होने का भाव है।
वर्चुअल प्रसारण शिक्षायतन पटना, महर्षि दयानंद वोकेशनल कोर्स इंडिया, आयुष मंत्रालय तथा चेतना योग यात्रा के Facebook page से एक साथ किया गया। जिसमे लगभग पचास हजार से ऊपर दर्शक जुड़े हुए थे।
संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने शुभकामना देते हुए कार्यक्रम की शुरुवात किया।
हुए इस कार्यक्रम का आयोजन प्रत्येक रविवार को होना निर्धारित है। जिसका प्रसारण शिक्षायतन पटना के फेसबुक पेज पर प्रस्तुति होगी।