- निष्ठा सोलंकी
दिल्ली: 26 अप्रैल, 2021:: अपनी कविता से पीढ़ियों को सम्मोहित करने वाले डॉ. कुमार विश्वास का हृदय देश में कोरोना की भयानक दशा को देख पिछले कुछ दिनों से देशवासियों के लिए व्याकुल हो रहा है। वे बार-बार सोशल मीडिया के माध्यम से अपने प्रशंसकों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। कोरोना काल के इस विपरीत परिस्थिति में जहाँ लोग अपने संयम, ज़िन्दगी जीने की उम्मीद और हौसले को खो रहे हैं, वही कुमार विश्वास ना सिर्फ़ लोगों में सकारात्मकता एवं विश्वास जगा रहे हैं बल्कि दिन रात एक कर के वे अनेकों लोगों की सहायता में अपने समर्थ अनुसार तत्परता से तत्पर जुटे हुए हैं।
24*7 उनकी टीम लोगों की सहायता हेतु जुटी हुई है और देश के कोने-कोने में लोगों की मदद करने का प्रयत्न भी कर रही है।
4 रोज पहले उन्होंने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से मदद कैसे करें इसका सुझाव माँगते हुए उन्हें फेसबुक पेज के इनबॉक्स अथवा ट्विटर पर कार्यालय के हैंडल @officeofdkv के DM में अपना नाम, पता, संपर्क सूत्र तथा लोगों की सहायता कैसे कर सकते हैं यह लिखकर उन्हें भेजने को कहा था।
विशेषकर घर पर इलाज कर रहे मरीजों के लिए फोन पर मैडिकेट कर सकने वाले डाक्टर्स तथा प्लाज्मा डोनर्स के नम्बर भी भेजने को कहा।
25 अप्रैल की शाम सरस्वती पुत्र विश्वास ने भावुक होकर प्रशंसकों के बीच प्लाज़्मा डोनेट करने की गुहार लगाते हुए अपने 12 मिनट 25 सेकंड के लाइव वीडियो में कहा कि पिछले 3 महीने में जितने भी लोग ने कोरोना से संक्रमित होकर उसे मात दी है वे स्वयं आगे आए और फेसबुक के इनबॉक्स अथवा ट्विटर पर कार्यालय के हैंडल @officeofdkv के DM में अपना नाम, पता, संपर्क उनसे साँझा करे ताकि दूर दराज से भी टीम एवं स्वयं कुमार विश्वास अपनी कुटिया में बैठ कर भी सभी देशवासियों की सहायता कर सकें।
इस दरमियाँ यूपी के एक बड़े आईएएस अधिकारी और एक डॉक्टर ने सहायता के बजाय उनका अपमान किया पर वहीं ना जाने कितने अनजान और कुछ भाई बंधुओं ने किस तरह आगे बढ़कर इस नेक कार्य में उनका हाथ बटाया इसे भी कवि ने अपने लाइव में प्रशंसकों से साझा किया।
कविराज ने उन सभी राजनीति के दुकानदारों को संदेश देते हुए उनके मुँह पर ज़ोरदार तमाचा जड़ते हुए उन्हें नकारात्मकता ना फैलाने और स्वयं को ना उकसाने से रोकते हुए तथा सचेत करते हुए कहा की बहुत मुश्किल से उन्होंने ऐसी परिस्थिति में अपने आँसू और गुस्से को रोक रखा है अतः अपनी नकारात्मकता से वे लोग उनके सब्र का बांध ना तोड़े।
आखिर में उन्होंने अपनी टीम के सभी साथियों पर गौरवांकित होकर उनका धन्यवाद किया और कहा की हम लड़ेंगे जीतेंगे, फिर महफिलें सजेंगी और ठहाके लगेंगे बस इस वक्त में हमें एक दूसरे की आशा और हौसला बनकर रहना है।
सही कहा है कि, जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि और इसे सिद्ध करते हुए माँ हिन्दी के बेटे विश्वास ये साबित कर रहे की बिना किसी पद एवं सत्ता के भी गर इच्छाशक्ति हो तो हम अपने बुलंद हौसलों से लोगों की सहायता कर सकते हैं।
आपदा की इस घड़ी में टीम हिन्द चक्र आप सभी देशवासियों से अनुरोध कर रहा है कि अपने विवेक को न खोए और बुलंद हौसले के साथ सकारात्मक होकर अपनो की एवं अपने देश की सहायता करें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।