- सतीश मालवीय
भोपाल, 22 मार्च, 2021:: दैनिक जीवन में कहा जाने वाला एक साधारण वाक्य है “जल है तो जीवन है” इसी प्रकार एक और कहावत या वाक्य है “बिन पानी सब सून” ये दोनो ही धारणाएं बहुत पहले से हमारे समाज में जल की महत्ता को प्रकट करती आयी है।
आज 22 मार्च है और प्रत्येक वर्ष हम 22 मार्च विश्व जल दिवस मनाते है। जल दिवस मनाने की शुरुआत 1992 में ब्राज़ील के रियो डी जानेरियो में पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर सयुंक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित हुए एक सम्मलेन के फलस्वरूप हुई।
इस वर्ष जल दिवस की थीम ‘वैल्यूइंग वाटर ‘है. जिसका अर्थ है लोगों को जल का महत्व समझना। जल दिवस का उद्देश्य पेयजल की पहुँच के बिना रह रहे 2.2 बिलियन लोगों के प्रति अन्य लोगों को जागरूक करना है।
विश्व जल दिवस का मुख्य लझ्य वर्ष 2030 तक सभी के लिये सतत् विकास लझ्य, स्वछता और जल के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने का समर्थन करना है। इसके आलावा संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत् विकास के लिये जल की उपलब्धता हेतु अंतराष्ट्रीय दशक 2018-2028 मनाया जा रहा है।
जल दिवस का सम्बन्ध वैश्विक जल संकट, जलवायु परिवर्तन के साथ अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। जलवायु परिवर्तन के कारण जल-चक्र की प्रक्रिया में परिवर्तनशीलता देखी जा रही है। इसी कारण चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि, जल उपलब्धता के पूर्वानुमान में समस्या तथा जल की गुणवत्ता में कमी आई है। इससे सुरक्षित पेयजल व स्वच्छता जैसे मानवाधिकारों पर संकट के साथ-साथ सतत् विकास व जैव विविधता के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व जल विकास सम्बंधी एक रिपोर्ट जारी की गई है.रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते जल की कमी से जूझ रहे देशों में समस्या और भी बढ़ेगी। साथ ही, उन क्षेत्रों में भी गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न होंगी, जो अभी तक इस समस्या से अछूते थे।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत रूपरेखाओं में जल पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिये क्योंकि जल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत ढाँचे में जल को समाहित नहीं किया गया है, क्योंकि जल-प्रबंधन व अंतर्राष्ट्रीय नीति में अभी अंतराल है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछली सदी में जल उपयोग में 6 गुना की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछली सदी में जल उपयोग में 6 गुना की वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में जलवायु परिवर्तन के कारण जल की उपलब्धता, गुणवत्ता, मात्रा व आधारभूत मानवीय आवश्यकताओं पर प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जल एवं जलवायु दोनों मुद्दे एक-दूसरे के साथ किस तरह अटूट रूप से जुड़े हुए हैं।
भारत में जल दिवस : जल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कैच द रेन’ अभियान का शुभारंभ किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘कैच द रेन’ यानी वर्षा जल संचय अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया। बता दें कि यह अभियान देश भर के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चलाया जाएगा। इस अभियान का नारा है- ‘जहां भी गिरे और जब भी गिरे, वर्षा का पानी इकट्ठा करें’। यह अभियान पूरे देश में 22 मार्च 2021 से 30 नवंबर, 2021 तक प्री-मानसून और मानसून अवधि के दौरान चलेगा। इसे अभियान के जरिए जमीनी स्तर पर जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन के रूप में शुरू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जल सुरक्षा और जल प्रबंधन भावी पीढियों के भविष्य के लिए अति आवश्यक है।