अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पूर्व संध्या पर संगीत शिक्षायतन द्वारा आयोजित कार्यक्रम “क्षितिज ये नहीं”

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  • शांभवी

पटना, दिनांक: 07.03.2021::
संगीत शिक्षायतन के प्रांगण में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में काव्य पाठ, चित्र प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।

द्विधा कृत्वात्मनो देहमर्धेन पुरुषोअमवत
अर्धेन नारी तस्या स दिराजं सृजत्प्रभु:|| ( मनुस्मृति)

स्त्री कलात्मक सौंदर्य की प्रतीक है। प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित तरीके से करने और उसे स्वरूप देने के लिए जानी जाती है। आज के आधुनिक युग में स्त्री के विभिन्न रूपों को देख पाना आसान है। क्योंकि अब स्त्री कई जिम्मेदारियों को एक साथ निभा रही है।
स्त्री के इसी सकारात्मक और नकारात्मक परिदृश्यों को दर्शाते हुए कविता पाठ किया गया। उभरते नवोदित कवियों पूजा चौधरी द्वारा घूम स्टेशन की वो धुंध …, शबनम चौधरी (नॉट्रेडेम अकादमी, बाढ़ से हिंदी शिक्षिका ) ने, स्त्री हूं स्नेह हूं स्पर्श हूं… रवि कुमार गुप्ता द्वारा उठ जग र बंदे की तू मेरा नहीं है… अंशिका राज ……और अमित प्रकाश द्वारा कई शदियां बित गई यही बताने में, औरत भी कम नहीं पुरुषों के जमाने मे……
मां गंगा तो कभी सरस्वती, मातृ भूमि , बुद्धसि दुर्गा पर आधारित बेहतरीन एक से एक कविताओं का पाठ किया।
कथक नृत्यांगना व संस्था की चीफ ट्रस्टी यामिनी ने गुलजार के लिखे गीत कितनी गिरहें खोली है कितनी बाकी है … पर नृत्य किया। यामिनी ने साथ ही स्त्री की बनावट , पहनावे , विचार व व्यवहार की बातों को सभी के समक्ष अपने संवाद में कहा।

रीतिका राय (चित्रकार) नारी की बहुमुखी प्रतिभा की चित्रप्रतिमा प्रदर्शनी हुई। दर्शकों ने काफी सराहा।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्था के गायन विभाग के शिक्षार्थी कलाकारों ने बेखौफ आजाद है जीना मुझे…, पिंजड़े की मुनिया….,

तथा सभी आगत कवियों को संगीत शिक्षायतन संस्था की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने पुष्प गुच्छ देकर आभार प्रकट व सम्मानित किया।

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