संपूर्ण जीवन दर्शन श्वास से शुरू होकर श्वास तक ही है

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पटना, दिनांक 25. 02. 2021:: कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से आयोजित एक दिवसीय ध्यान अभ्यास का कार्यक्रम हुआ कार्यक्रम के दौरान बौद्ध दर्शन की योग व ध्यान को सारगर्भित करने वाली क्रिया विपश्यना की आनापान सती का अभ्यास कराया गया जिसमें स्वास को छोड़ने एवं लेने की प्रक्रिया द्वारा जीवन के अमूल्य ऊर्जा का दर्शन करना होता है जिसमें अंतर्निहित आनंद समाहित होता है l
बुद्ध अपने जीवन के प्रारंभिक अवस्था में यह महसूस किया था कि ध्यान की क्रिया को आगे बढ़ाने के लिए श्वास के स्वभाविक प्रवाह का विशेष अभ्यास आवश्यक हैl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अरुण कात्यायन द्वारा विपश्यना पद्धति के प्रथम चरण आनापान सती का अभ्यास कराया गया तथा ध्यान प्राणायाम योगाभ्यास के संबंध में प्रश्नों के उत्तर देते हुए अरुण जी ने भगवान बुद्ध द्वारा विकसित प्राचीन ध्यान पद्धति जो श्री सत्यनारायण गोयंका द्वारा प्रचारित किया गया है कहा के संपूर्ण जीवन दर्शन श्वास से शुरू होकर श्वास तक ही है और श्वास ही जीवन के अवस्था का संकेत है इसलिए श्वास का दर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण है कार्यक्रम के दौरान विदुषी रेशमी उपाशी गाने उपाशिका ने विद्यार्थियों को अभ्यास के दौरान अपने निर्देशन में गतिविधियों को करवाया इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ अजय कुमार पांडे प्राचार्य ने किया इस कार्यक्रम में आर टी टी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर कमल प्रसाद बौद्ध कला महाविद्यालय के शिक्षक गण विद्यार्थी गण कर्मचारी गण भी उपस्थित थे l तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर राखी धन्यवाद ज्ञापित किया

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