पुष्प की यात्रा Uncategorized February 9, 2021February 9, 2021EditorLeave a Comment on पुष्प की यात्रा अवधेश झा सीमा नहीं है, इस परिसीमन काखंड खंड में, बिखरा है मेला ।कन्ही दूर – दूर खड़ा है कोईअसंख्य तारों के मध्य अकेला ।। पूनम रात्रि की संध्या बेला,मध्यम, शीतल ऋतु अलबेला।जागृत तम, नव पंकज हृदयझांके जैसे बसंत की बेला।।