पुष्प – योगिनी

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  • अवधेश झा

योग प्रभाती,सहज ही गाती,
करती है नित्य प्राणायाम।
वज्रासन लगा कर बैठे,
श्वास पर होती है ध्यान।।

यम-नियम से शुभारंभ करके,
पतंजलि अष्टांग योग को प्रणाम।
प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि
दिव्य-संकल्प बिना नहीं बनते काम।।

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