पुष्प की भावना Uncategorized February 8, 2021February 8, 2021EditorLeave a Comment on पुष्प की भावना अवधेश झा कांटो में भी रहकर,सुंदरता की मूरत ।ईश्वर हो या मनुजहै, तुम्हारी जरूरत ।। खिले जहां, खिल जाते हैवर्षों से सहमे मुस्कान उहां।महके तो महक उठे तन-मनपल्लवित पुष्पित वन उपवन।।