मन

Offbeat

  • प्रज्ञा झा

मन चंचल है,
मन कोमल है,

मन वियोगी है,
मन ही माया
और मन समंदर है।

मन करुणा है,
मन तृष्णा है,

मन तृप्ति है,
अनन्त इक्षाओं का,
मन भावना है,
प्रेम की गहराइयों का,

मन रत्न है,
सदा चमकता रहता,
मन विशुद्ध है,
कभी मैला नहीं होता,

मन संतोष है,
मन एहसास है,

मन शांत है,
मन प्रशांत है,

आओ मन नव भाव जगाए।
सकारात्मकता का दीप जलाए।।

3 thoughts on “मन

Leave a Reply to Nikki jha Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *