संस्कृति का पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष कार्यक्रम “योग और संगीत” का आयोजन संगीत शिक्षायतन और कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, भाजपा बिहार के द्वारा किया गया

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  • कुमारी स्वाति

पटना, 14/01/2021l योगस्थ: कुरु कर्माणि l चेतना : योग यात्रा-6 l अध्यात्म, खगौलिए और हिंदू धर्म मान्यता का संगम, सूर्य : संस्कृति का पर्व मकर संक्रांति विशेष कार्यक्रम
संगीत शिक्षायतन पटना और कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, बिहार प्रदेश भाजपा द्वारा आयोजित किया गया।
पटना के संगीत, नृत्य अभिनय कला व साहित्य को समर्पित संस्था संगीत शिक्षायतन ट्रस्ट द्वारा चेतना : योग यात्रा-6 के अन्तर्गत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य व सुरक्षा के सेमिनार तथा कल्याणकारी कार्य संपन्न किए गए। इस वर्ष की योजना के 6 क्रम में विषय “योगस्थ: कुरु कर्माणि।” जिसमें भाजपा के सौजन्य से किया गया।
अध्यात्म, खगौलिए और हिंदू धर्म मान्यता का संगम, सूर्य :संस्कृति का पर्व मकर संक्रांति के महत्व को जानने के लिए योग का कार्यक्रम आयोजित किया गया। सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है । योग के माध्यम से विभिन्न आसनों तथा आयामों द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कौन से योगासन करने चाहिए, इसकी जानकारी दी गई। साथ ही सांस्कृतिक कार्यकर्म का भव्य आयोजन हुआ। यह सब पटना सैदपुर स्थित प्रेमचंद रंगशाला में मकर संक्रांति के दिन आयोजित हुआ।
साथ ही योग, प्रकृति, अध्यात्म, विषय के अथिति विशेषज्ञों और कलाकारों की विशिष्ट उपस्थिति रही।
हृदय नारायण झा. (योग विशेषज्ञ, सहायक निदेशक, बिहार राज्य उच्च शिक्षा विभाग बिहार सरकार, पटना)
अवधेश झा, अंतरराष्ट्रीय योग समन्वयक, ज्योतिर्मय ट्रस्ट (यूनिट ऑफ योग रिसर्च फाउंडेशन, मियामी, फ्लोरिडा, अमेरिका)
रितेश मिश्रा ( योगाचार्य: प्रथम योग विश्वविद्यालय मुंगेर), पाटलिपुत्र रत्न सम्मान एवं सूत्रा एक्सीलेंट सम्मान से सम्मानित !”निशा ओंकार कला कुंज” सचिव एवं संगीत शिक्षायतन के कार्यकारणी सदस्य!
रवि प्रकाश (कथक कलाकार, कथक केंद्र न्यू दिल्ली)
आदित्या कौशिक (वैदिक स्वारघात व मंत्र उवाचक)
Muse Musical Group की संगीतमय प्रस्तुति
Muse Lustre Performs की नृत्य प्रस्तुति

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। उद्घाटनकर्ता विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, बरुण कुमार सिंह (प्रदेश अध्यक्ष, कला संस्कृति प्रकोष्ठ, भाजपा बिहार) रेखा शर्मा (प्रेसिडेंट, संगीत शिक्षायतन, पटना) अरुण कुमार सिन्हा, विधायक कुंभरार, पटना, नितिन नवीन, विधायक बांकीपुर, पटना अथिति कलाकार ने वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित किया। पूरे वातावरण को शुद्ध और उर्जा से भर दिया था वैदिक मंत्र उच्चारण आदित्य कौशिक के ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया साथ ही सत सृष्टि तांडव भगवान शंकर की उपासना अपनी पूरी टीम के साथ गा बजाकर प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की सूची:
सूर्य के विभिन्न नामों का वैदिक उच्चारण
प्रार्थना गीत सूरज की गर्मी से तपकर
शिव वंदना नृत्य (ध्रुवपद गायन शैली)
प्रायोगिक – योगासनप्राणायाम
सूफी गायन (भर दे झोली मेरी..)
आदित्य हृदय स्तोत्र नृत्य
व्याख्यान – योगस्थ: कुरु कर्माणि
“सोऽहं” नृत्य
विश्लेषण – आध्यात्मिक
सूफी गायन (छाप तिलक …)
की शानदार प्रस्तुति हुई।

व्याख्यान सत्र में योगस्थ: कुरु कर्माणि। विषय पर शिक्षायतन के योग गुरु तथा आध्यात्मिक और शैक्षणिक सेल के गुरु हृदय नारायण झा. (योग विशेषज्ञ, सहायक निदेशक, बिहार राज्य उच्च शिक्षा विभाग बिहार सरकार, पटना.) ने संस्कृति, हिंदी, अंग्रेजी में सटीक जानकारी देते हुए व्याख्या की। जिसमे उन्होंने श्री कृष्ण द्वारा कथित योगस्थ: कुरु कर्माणि विषय अर्थात योग में स्थित होकर कर्म करो, पर व्याख्यान निहित है।
इस जगत में व्याप्त सत्ता सब ईश्वर अधीन है। तथा सब का सब से योग आधारित संबंध है, बिना योगिक संबंध के प्रकृति का संचालन नहीं हो सकता है। अंतः, लौकिक, पारलौकिक चीजों का वास्तविक और परिशुद्ध दर्शन ही योग है। यह बहुत अच्छा अवसर है कि सूर्य मकर राशि में प्रवेश हो रहा है तथा दोनों के सहयोग से जो युति बनती है वह धर्म- न्याय का प्रतीक है। सूर्य यश, समृद्धि और शक्ति के पुंज हैं वही मकर के स्वामी बुद्धि, ज्ञान, न्याय एवं कौशल तथा अनंत ऊर्जावान है दोनों का संबंध वास्तव में सास्वत है। बताने का प्रयास किया।

प्रथम योग विश्वविद्यालय मुंगेर से आए शिक्षायतन के योग गुरु तथा कार्यकारिणी सदस्य,
गुरु योगाचार्य- रितेश मिश्र ने प्रायोगिक योगासन प्राणायाम कार्यक्रम में
योगाभ्यास:- शांति पाठ

  1. पादांगुली नमन 2. गुल्फ नमन 3.गुल्फ चक्र
  2. गुल्फ घूर्णन 5. तितिली आसन 6 मणिबन्ध चक्र
  3. केहुनी नमन, 8. स्कंध चक्र 9. ग्रिवा संचालन 10.झूलना लुढ़कना आसन 11.नौकासन
    12.ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटिचक्रासन, 13.सूर्य नमस्कार (संस्कृत के बारहों) नाम के साथ!
    14.धनुरासन, हलासन, सर्वांग आसन! नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम 15.शवासन और अंत में पुनः शांति पाठ से समापन!
    एक विशेष बात जो उन्होंने बताई वो ये कि ध्यान में किसी तरह का कोइ कल्पना ना करें केवल अपने सुबह बिस्तर छोड़के उठने के बाद से पुनः रात्री को बिस्तर पे सोने जाने से पूर्व तक कि सभी क्रिया कलापों को मासिक रूप से दुहरा लेना चाहिए इससे ध्यान करता के स्मरण शक्ति में ग़ज़ब की वृद्धि होती है ! साथ ही रितेश मिश्र ने एक मंत्र भी दिया “योग युक्त- रोग मुक्त”।

ध्रुपद गायन शैली में शिव वंदना ‘ शिवा शिवा शिवा शंकर भोलानाथ” की प्रस्तुति कथक कलाकार सोनाली बरनवाल, अनु तिवारी अकुल, अंशिका राज और शिल्विया ने प्रस्तुति देकर दर्शकों को आश्चर्य चकित किया।
एक और नृत्य आदित्य हृदय स्तोत्र नृत्य की प्रस्तुति हुई जिसमें कथक नृत्य और योग की मुद्राएं सम्मिलित थी। स्नेहा, अंशु, आस्था, हर्षिता, अनन्या, इपसा, बबली ने भाग लिया। दोनों ही नृत्य की रचना कथक नृत्यांगना यामिनी ने किया।

दिल्ली से आए अतिथि कलाकार श्री रवि प्रकाश (कथक कलाकार,) ने “सोऽहं” नाम से की प्रस्तुति दी “सोsहं” अर्थात आत्मा और परमात्मा का समन्वय, जिसमें आवश्यक है पहले शरीर और प्राण का समन्वय, जिसमें ‘मन’ की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
‘मन’ जो अत्यंत ही गतिमान है, क्योंकि हम क्षण भर में मन से कहीं भी पहुंच सकते हैं, जबकि शरीर से नहीं | योग के ध्यान मार्ग में भी मन निरंतर दौड़ता रहता है, कभी काम, कभी लोभ, कभी अहंकार और कभी क्रोध जैसे विकार उसे अपनी तरफ खींचते हैं, परंतु निरंतर साधना से इन विकारों को समझते हुए मन को मार्ग दिखाया जा सकता। नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया।

Muse Musical Group की संगीतमय प्रस्तुति में दो सूफी गानों का बेहतरीन प्रस्तुति हुई।
भर दे झोली मेरी…. और दूसरा छाप तिलक सब छीनी रे….गाने को ग्रुप लीडर अमित प्रकाश की संयोजन में तैयार किया गया था। जिसमे गायन कलाकार अनन्या, अंबिका, सुप्रिया साही, अमित प्रकाश, सुप्रिया सवर्ण, अमिताभ। तथा तबले पर गुरु श्री प्रवीर कुमार, हारमोनियम पर मिलन साथ दे रहे थे। गाने की तैयारी गुरु श्री धनंजय कुमार धीरज ने की थी।

अवधेश झा, शिक्षायतन के योग गुरु तथा आध्यात्मिक और शैक्षणिक सेल के गुरु (अंतरराष्ट्रीय योग समन्वयक, ज्योतिर्मय ट्रस्ट, यूनिट ऑफ योग रिसर्च फाउंडेशन, मियामी, फ्लोरिडा, अमेरिका) ने आध्यात्मिक पक्ष को उजागर करते हुए कहा, योग और प्रकृति में गहरा संबंध है। प्रकृति से हमारी उत्पति हुई है और योग प्रकृति से सामंजस्य स्थापित कर हमारे मन तथा शरीर को एकत्व स्थापित करने में सहायता प्रदान करता है। हम प्रकृति के ही विशिष्ठ रूप है और प्रकृति में ही समाहित होंगे इसलिए अपने जीवन में प्रकृति का स्थान महत्वपूर्ण है तथा उससे जुड़े रहना ही हमारी जीवंतता है। प्रकृति हमारे जीवन को समृद्ध व स्वस्थ रखता है।
योगस्थःकुरुकर्माणि संग त्यक्त्वा धनंजय।
सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
हे धनंजय! तू आसक्ति को त्यागकर तथा सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धिवाला होकर योग में स्थित हुआ कर्तव्य कर्मों को कर, समत्व (जो कुछ भी कर्म किया जाए, उसके पूर्ण होने और न होने में तथा उसके फल में समभाव रहने का नाम ‘समत्व’ है) ही योग कहलाता है॥
कार्यक्रम का संचालन व संयोजन अपने सुगठित और मधुर आवाज में मुख्य रूप से श्री मती श्वेता सुरभि (उद्घोषिका व प्रवक्ता शास्त्रीय नृत्य विभाग, बीजेपी) श्रीमती छवि मिश्रा (उद्घोषिका इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) श्री रवि कुमार गुप्ता (सहसंयोजक साहित्य विभाग बीजेपी) ने बखूबी किया।

वरुण सिंह (अध्यक्ष, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, बिहार प्रदेश) तथा डा० किशोर सिन्हा (पूर्व सहायक केंद्र निदेशक आकाशवाणी पटना, तथा शिक्षायतन संगीत, साहित्य कला व सांस्कृतिक सलाहकार टीम प्रभारी ) ज़िया हसन (शिक्षायतन मीडिया व तकनीकी सलाहकार टीम प्रभारी ) की गणमान्य उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का वर्चुअल प्रसारण Facebook page Shikkshayatan Patna, कला संस्कृति बिहार,भाजपा । कला संस्कृति पटना महानगर भाजपा। कला संस्कृति समस्तीपुर । बिहारी बंधु , ईवेंटोम। MDVTII , से भी किया गया। लगभग 70 हजार से ऊपर लोग कार्यक्रम के साक्षी बने।

तथा सभी आगत विशेषज्ञों को संगीत शिक्षायतन संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रेखा शर्मा ने प्रतीक चिन्ह देकर आभार प्रकट व सम्मानित किया।
कुशल संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन संगीत शिक्षायतन के चीफ़ ट्रस्टी यामिनी ने की।

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