लोग व्हाट्सएप्प , फेसबुक पर देवनागरी के बजाए रोमन में चैट करना पसंद करते है: मिथलेश तिवारी।
By Kumari Swati.
भारत मे बदलते समय के साथ साथ बहुत कुछ बदल रहा है। ऐसे में इस बादलाव में हम इतने उलझ गए है कि हम यह भी भूल गए है कि हमारी असली मिट्टी क्या है, और उसकी सही पहचान क्या है। हिंदी भाषा जो हमारी मातृ भाषा है , जो हमे हमारी मातृभूमि से जोड़ती है , उससे हम दिन पर दिन दूर होते जा रहे है। ऐसे मैं ये हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी भाषा के लिए कुछ करे जिससे हमारी भाषा , हमारे आने वाली पीढ़ी को वैसे ही मिले , जैसे कि हमारे पूर्वजों ने हमे सौंपि थी। इसी बात पर चर्चा करने के लिए हिन्द चक्र की टीम ने खास बातचीत की “मिथलेश तिवारी जी “से जो क्राइस्ट चर्च डायोसेशन स्कूल में हिंदी विषय के शिक्षक है, इन्होंने बड़ी बेबाकी से सारे सवालो का जवाब दिया ।

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1.भारत मे हिंदी की स्थिति क्या है?
भारत मे हिंदी की स्थिति से हम सभी अवगत है। आज के इस दौर में लोग आधुनिकता के तरफ ऐसे चलते चले जा रहे है , की उन्हें अपनी असल मातृ भाषा बोलने में शर्म आती है। लोग सोशल मीडिया पर , तीन सौ पैसठ दिन में बस एक दिन ही हिंदी दिवस से जुड़े पोस्ट साझा करते नज़र आते है, और बाकी दिन उनके सोशल मीडिया पर हिंदी का एक अंश मात्र भी नज़र नही आता। लोग व्हाट्सएप्प , फेसबुक पर देवनागरी के बजाए रोमन में चैट करना पसंद करते है। लोग हिंदी बोलने से कतराते है , क्योंकि उनके जेहन में कहीं न कंही यह बात बैठी है कि हिंदी बोलने से लोग उन्हें पिछड़ा समझेंगे।

  1. हिंदी से समाज को क्या मिलता है?
    हिंदी से समाज को उसकी पहचान मिलती है। हिंदी आम बोल चाल की भाषा है। बिना हिंदी के कोई कैसे अपनी बातों को एक दूसरे से साझा करेगा। हिंदी भारत मे बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। अर्थात समाज मे जो भी कुछ होता है, उसमे भाषा का महत्व कोई नकार नही सकता इसलिए हिंदी सामज की एक महत्वपूर्ण नींव है जिसपर हमारा समाज टिका हुआ है।
  2. बच्चो में हिंदी के प्रति रुझान कैसे लाया जा सकता है?
    बच्चो में हिंदी का प्रति रुझान लेन की जिम्म्मेदारी घर से शुरू होती है। अगर हम गौर से देखे और समझे तोह पाएंगे , की दसवीं कक्षा में पांच विषय होते है , जिसमे हिंदी भी आता है लेकिन बच्चे हिंदी विषय पर सबसे कम समय देते है । उनके माता पिता , विज्ञान या गणित के होम ट्यूशन लगाने को तैयार होंगे , परंतु हिंदी के नही। ऐसे में जो मानसिकता हिंदी के प्रति लोगो के जेहन में है उसे बदलने की ज़रूरत है।
  3. आपको हिंदी पढ़ाते हुए दो दशक से भी ज्यादा हो गए है , ऐसे में कौन कौन से बादलाव को अपने देखा है ?
    दो दशक पहले जिन विद्यार्थियों को मैन हिंदी पढ़ाया वो अलग तरीके से हिंदी को देखते , पढ़ते , और समझते थे। वह सिर्फ हिंदी नही बल्कि अंग्रेज़ी भी उतनी ही निपुणता के साथ पढ़ते थे , जैसे हिंदी पढ़ते थे। आज के समय मे , ना ही कोई अच्छी हिंदी बोलता है और न ही अंग्रेजी। इनकी नैय्या बीच मजधार में लटकी हुई मिलती है। इसलिए ये बेहद ज़रूरी है की एक विद्यार्थी हिंदी की तो इज्जत करे ही मगर साथ ही साथ किसी एक भाषा पर अपनी पकड़ मजबूत रखे।
  4. हिंदी का भविष्य क्या है?
    हिंदी के भविष्य से हम सभी अवगत है , दिन बीतते चले जा रहे है , और हिंदी की स्थिति खराब होती चली जा रही है। ऐसे में हिंदी का भविष्य क्या होगा इसका अनुमान पाठक खुद लगा सकते है। समय रहते अगर हमने हिंदी को बचा लिया तो हम अपने धरोहर को बचाने में कामयाब रहेंगें ।

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